रविवार, 2 जनवरी 2011

व्हाट इज व्हाईट नोइज़?

क्या है व्हाईट नोइज़ ?
अलग -अलग आवृत्तियों की मिलीजुली ध्वनी (मिश्र ध्वनी )को व्हाईट नोइज़ के तहत रखा जाता है .यदि उन तमाम टोंस पर गौर किया जाए जिन्हें हमारा कान सुन पाता है (श्रवण के तौर पर जिन्हें हम ग्रहण करतें हैं )तथा इन सभी टोंस को एक साथ पैदा किया जाए तब हमारा कान जो मिश्र ध्वनी सुन पायेगा वह व्हाईट नोइज़ कहलाएगी ।
जिस प्रकार सतरंगी प्रकाश को हम सफ़ेद प्रकाश कह देतें हैं वैसे ही अनेक आवृत्तियों की सम्मिलित ध्वनी व्हाईट नोइज़ कहलाती है ।
आपको बत्लादें 'ह्यूमेन वोईस इज ए कोम्प्लेक्स नोट ऑफ़ फ्रीक्वेंसीज़ 'इट इज ए मिक्श्चर ऑफ़ फ्रीक्वेंसीज़ .नोट कन्सिस्ट्स ऑफ़ ए सीरीज ऑफ़ टोंस .ए साउंड ऑफ़ ए सिंगिल फ्रीक्वेंसी इज काल्ड ए 'टोन'.चन्द आवृत्तियों से पैदा कम्पनों को ही हमारा कान एक माध्यम की उपस्थिति में ध्वनी या आवाज़ के रूप में ग्रहण कर पाता है .इसे ही कान की श्रव्य परास (ओडिबिल रेंज ) कहा जाता है .(२०-२०,००० हर्ट्ज़ आवृत्ति की ध्वनियाँ हमारे लिए श्रव्य बनी हुईं हैं .२० कम्पन प्रति सेकिंड से नीचे की ध्वनी इन्फ्रासोनिक्स (अव -श्रव्य ध्वनी )तथा २० किलो -हर्ट्ज़ से ऊपर की ध्वनियाँ परा -ध्वनिक यानी अल्ट्रा -सोनिक्स के तहत आतीं हैं .)

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