रविवार, 23 जनवरी 2011

हेल्थ टिप्स .

डिप्थीरिया से राहत के लिए :डिप्थीरिया या कुकर खांसी /घट सर्प के रोग में गले में 'चिकट कफ़' अटककर स्वास अवरुद्ध होकर दम घुटने से शिशु की मृत्यु हो जाती है .गले में घर्र घर्र की आवाज़ आती है .स्वांस लेने में बहुत कष्ट होता है .घट सर्प /कुकर खांसी में कफ इतना चिकना होता है कि चिमटी से पकड़ कर खींचा जाए तो लंबा तार की तरह निकलेगा जो टूटेगा नहीं .यही कफ घोघली में चिपटकर स्वांस नलिका को बंद कर देता है .और रोगी मर जाता है ।

डिप्थीरिया है या शंका होने पर यह मालूम होते ही तुरंत दूध में ५-६ बूँद आक (अकौना ,मदार ) का दूध डालकर रोगी को पिला दीजिये .एक दो मिनिट में ही गले का साराचिकटा (चिकट गाढा कफ ) घोघली के स्थान से छूटकर निकल जाएगा ।

डिप्थीरिया की बीमारी में आक का दूध ३-४ बूँद या ५-६ बूँद गाय के दूध में /भैंस के दूध में मिलाकर रोगी को पिलायें .यह विष नहीं है .और नुक्सान नहीं करता ।

आक के पत्ते से दूध निकालते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखें की आक का दूध किसी भी हालत में आँख में न लगे .अन्यथा आँख खराब होने का ख़तरा है ।

यह कफ एवं चिकट को फाड़ देता है .हरा नीला गाढा कफ उलटी द्वारा निकल जाता है .रोगी दो मिनिट में ठीक हो जाता है ।

जब रोगी को उलटी हो वहां कफ ,सर्दी से ग्रस्त कोई व्यक्ति न हो ,उसे भी छूत लग सकती है .इसका डिस्पोज़ल सावधानी पूर्वक करें .बेहतर हो मिटटी के पात्र में संजोकर इसे दफन करदें गहरा गड्ढा खोदकर .जला देन .आबाल्वृद्धों को मरीज़ की सांगत से बचाए रखें खास कर नौनिहालों और बुजुर्गों को .यह बीमारी अकसर शिशुओं को ही होती है लेकिन बड़ो को भी इसकी छूट लग सकती है .डिप्थीरिया का टीका टीका कार्य क्रम के अनुरूप नौनिहाल को ज़रूर लगवाएं बूस्टर डोज़ भी देवें .चिकट कफ कभी भी ख़तरा उत्पन्न कर सकता है .

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