गुरुवार, 6 जनवरी 2011

बांझपन से थोड़ा बचाव जीवन शैली में बदलाव ....

नेवर टू लेट .लाइफ स्टाइल चेंज़िज़ कैन हेल्प प्रिवेंट इन -फर्टिलिटी ,सेज एक्सपर्ट्स .(बोम्बे टाइम्स /टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,जनवरी ,पृष्ठ १५ )।
गर्भ धारण की ओर ले जाने में औरत /मर्द कीजैविक असमर्थता ही प्रजनन हीनता /इन -फर्टिलिटी है .अस्थाई या स्थाई बांझपन है .उन दम्पत्तियों को चेक अप के लिए पहल करनी चाहिए जब औरत की उम्र ३५ से नीचे होने पर एक साल तक बिना गर्भ रोधी उपाय अपनाए निर्बाध मैथुन गर्भ धारण की ओर न ले जाए .औरत की उम्र ३५ से ऊपर होने पर ऐसा होने पर ६ माह के बाद ही इन्फर्तिलिती के माहिरों के पास पहुंचना चाहिए ।
चिकित्सीय दखल से कई किस्म के बांझपन से बचा सकता है बेशक आनुवंशिक वजहें भी बांझपन की मौजूद रहतीं हैं जिनसे बचाव संभव नहीं होता ।
अलबत्ता जीवन शैली में उचित बदलाव तथा वह माहौल सामाजिक और पारिवारिक जिसमे हम जीवन यापन करतें हैं में तरमीम भी हमारी प्रजनन शीलता और प्रजनन क्षमता को असर ग्रस्त करती है ।
यहाँ कुछ ऐसे ही सकारात्मक बदलावों का ज़िक्र किया जाएगा ।
माहिरों के अनुसार ओवर वेट तथा कृशकाया (कद काठी के अनुरूप सामान्य से कम भार वाली अन्डर-वेट)महिलाओं में डिम्ब क्षरण सम्बन्धी गडबड -ईयाँ(ओव्यूलेशन डिस -ऑर्डर्स ) का जोखिम बढ़ जाता है .अंडाशय से अंडा मासिक और नियमित तौर पर नहीं निकलता इस विकार में .अंड -वाहिनियाँ अवरुद्ध भी हो सकतीं हैं .वजन कम करने के लिए फैड्स डाइटसे बचना चाहिए .वजन कम करने के तरीकों में संतुलित खुराक को तवज्जो दी जानी चाहिए .वजन भी धीरे -धीरे कम किया जाए .मोडरेट एक्सर-साइज़ का बड़ा महत्व है वेट लोस रिजीम में ।
फैड डाइट लेने और स्त्रेन्युअस एक्सर -साइज़ करने वाली महिलाओं में दिक्रीज्द ओव्यूलेशन और ज्यादा मासिक स्राव सम्बन्धी गडबडी देखी गई है ।
पुरुषों में हाड तोड़ व्यायाम अंड कोष का तापमान(टेम्प्रेचर ऑफ़ दी टेस्तीज़) बढ़ने से स्पर्म काउंट को कम कर सकता है .अंड कोष का तापमान स्पर्म बनने को भी असर ग्रस्त करता है ।
चाय कोफी का ज़रुरत से ज्यादा सेवन बच्चा गिरने के अवसरों (मिस्केरिज़िज़ )को बढा सकता है .कोकेन और मारिज्युआना जैसी नशीली दवाओं का सेवन स्थाई नुकसानी तथा औरत और मर्दों दोनों में समान रूप से बांझपन की वजह बनता है .प्रजनन क्षमता को ले बैठती हैं ये नशीली दवाएं ।
तपेदिक भी बांझपन की एक वजह दोनों में बनता है क्योंकिशुरू में ही इलाज़ न हो पाने पर यह प्रजनन -मार्ग (रिप्रो -डक -टिव ट्रेक्ट ) ही डेमेज कर देता है .भारत में ट्यूबर- क्युलोसिस भी बांझपन की इसीलिए एक वजह बना हुआ है .अलावा इसके बार बार एबोरशन करवाना भी बांझपन की वजह बनता है .इट कैन लीड टू स्कारिंग ऑफ़ दी यूटेराइन केविटी ऑर त्युबल ब्लोकेज ।
नाशी -जीवनाशी (पेस्ट -ई -साइड्स ),लेड ,हेवी मेटल्स ,विषाक्त रसायन ,आयन पैदा करने वाला विकिरण (आयो -नाइ -जिंग रेडियेशन )भी दोनों सेक्सिज़ में बांझपन की वजह बनता है .(ज़ारी ...)

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