शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

इस भोजनालय में गंध खाते हैं लोग ....

ईट्री देट लेट्स यु स्मेल फ्लेवर्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,नै -दिल्ली ,जनवरी २८ ,२०१११ ,पृष्ठ २१ ।).
एक जगह पढ़ा था कोफी की गंध जब नथुनों में भरतीहै तो दिमाग को उतना ही रिलेक्शेशन मिलता है जितना कोफ़ी पीने के बाद .रूप रस गंध स्वाद खाने का एंजाइम्स को उत्तेजित करता है इसीलिए अच्छी सलाद को देख कर मुह में पानी आजाता है ।
लेकिन इस एरोमा के पैसे नहीं लगते थे .लेकिन अब पेरिस में एक ऐसा रेस्त्रा खोला गया है जिसके मेन्यु में गंधों का ही ज़िक्र है .बस गंध सूंघिए और अपना रास्ता नापिए .यहाँ खाने को गंध ही मिलतीं हैं ।
चाहे तो इस सूंघने की प्रक्रिया को व्हाफ्फिंग कह सकतें हैं .यहाँ खाना खाया नहीं जाता ..एरोमा परोसा जाता है .हो सकता है भविष्य में लोग इन गंधों से ही पेट भर लें ।
एक हारवर्ड यूनिवर्सिटी प्रोफ़ेसर के दिमाग की उपज है यह रेस्तरा .एरोसोल साइंसदान डेविड एडवर्ड्स ने भी इसमें सहयोग किया है .

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