शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

क्या है एल्कोहलिज्म ?

एल्कोहलिज्म ?
शराब की लत या पियक्कड़ -पन ,एल्कोह्लिज्म एक ऐसी बीमारी है जब व्यक्ति शराब के लिए न सिर्फ लालायित रहता है इसके बिना रह भी नहीं सकता .फिर चाहे यह आदत उसके लिए व्यावसायिक मुश्किलातें पैदा कर रही हो ,उसकी सेहत के साथ खिलवाड़ करने लगी हो सामाजिक और पारिवारिक दिक्कत और कलह का कारण बनने लगी हो ।
बेशक मोडरेट ड्रिंकिंग का मतलब अपनेआप को रोजाना दो पैग (६० एम् एल ईच ) शराब तक सीमितरखना रहना है लेकिन हफ्ते में १४ पैग शराब का सेवन भी रिस्की ज़ोन के तहत आने लगता है ऐसा माहिरों का मानना समझना है ।
कुछ लोग अपने आप को बेशक नॉन -रेग्युलर ड्रिंकर मानते समझतें हैं लेकिन सभा सोसायटी किसी पार्टी में ४-५ ड्रिंक्स उड़ा जातें हैं .माहिरों के अनुसार यह बिंज ड्रिंकिंग के तहत आयेगा जो किसी भी सूरत में वांच्छित नहीं है .सेहत के लिए ठीक नहीं है .खुद के साथ खिलवाड़ है ।

बायो केमिकल टेस्ट्स करतें हैं एल्कोहलिज्म का निर्धारण :रोग की (एल्कोहलिज्म की )गंभीरता का पता लगाने के लिए एल्कोहलिज्म के रोग निदान के लिए ,डायग्नोसिस के लिए जैव -रासायनिक परीक्षण किये जातें हैं .नतीजे फिजिकल इम्पेयर मेंट पर आधारित होतें हैं .एल्कोहल दिपेंदेंस को न्युत्रेलाइज़ (बेअसर ,उदासीन करने के लिए शराब के असर और लत को )दवाएं तजवीज़ की जातीं हैं ।
आखिर एल्कोहल सीधे सीधे दिमाग पर असर करती है .हाई -प्ल्ज़ रेट्स ,हेवी ब्रीदिंग ,अनिद्रा (लोस ऑफ़ स्लीप ) यकायक शराब छोड़ने के फ़ौरन बाद आ घेरतें हैं .आसान काम नहीं है शराब छुड़ाई .हौसला और प्रबल इच्छा शक्ति दवाओं के संग ज़रूरी हैं .साथी का सहयोग भी ।
न्युत्रेलाइज़र्स /मूड स्तेब्लाइज़र्स आजमाए जातें हैं एल्कोहलिज्म से छुडाव के लिए .धीरे धीरे शराब की ललक कम होने लगती है .स्तेब्लाइज़र्स का स्तेमाल शरीर में सिरोटोनिन जैसे एक रसायन का स्राव करवाने लगता है जो क्रेविंग को कम करता है ।
१००% कामयाबी से हो सकती है शराब छुड़ाई :अलबत्ता प्रबल इच्छा शक्ति चाहिए .कितने लोग जानतें हैं कि हमारा शरीर एक घंटे में मात्र एक ड्रिंक को ठीक से मेटा -बोलाईज़ (चय -अपचयन )कर सकता है .इसीलिए शराब सलीके से पीने वाली चीज़ है .स्लो ड्रिंकिंग इज वेरी क्रूशियल .हमलोग इंडियन स्टाइल ऑफ़ ड्रिंकिंग में ४-५ ड्रिंक्स दो घंटे में उड़ा जातें हैं .इसीलिए पश्चिमी सभ्यता में पब्स और केफेज़ में वाइन और बीयर सर्व करने का चलन ज्यादा रहा है ।
सम्पूर्ण चिकत्सा चाहिए शराब छुड़ाई के लिए (होलिस्टिक मेडिसन )जिसमे योगा,(योगा स्ट्रेस को वेदर करने का माद्दा बढाता है ) मेडिसन और कोंसेलिंग सब कुछ शामिल हों ।
खुराक में हर्ब्स का स्तेमाल आवेगों को काबू में रखता है .यही कहना है माहिरों का .पूरा एक साल नियमित इलाज़ चाहिए .सलाह मशविरा भी दवा दारु भी .बीच में इलाज़ छोड़ने का मतलब पुराने ढर्रे पर लौटना है .सब कुछ गुड गोबर हो जाएगा सारे किये धरे पर पानी फिर जाएगा .अन्तरंग रूप से उन्हें अपने एब की गंभीरता की जानकारी खुद भी होनी चाहिए .छोड़ने की कोशीश भी अन्दर से होनी चाहिए .साथी को ताना कशी से बाज़ आना चाहिए उससे कुछ भला नहीं होने वाला .नुक्सान ही होगा ।
सन्दर्भ -सामिग्री :-रिलेप्स ऑफ़ रीज़न .एल्कोहलिक्स राजा चौधरी एंड सलिल अंकोला हेड किक्ड दी हेबिट ,बट हेव रितर्न्द टू देयर ओल्ड वेज़ .डॉ .सचिन पाटकर ,हू कोंसेल्ड देम बोथ .एक्स्प्लेंस दिस रिलेप्स सिंड्रोम (मुंबई मिरर ,जनवरी १४ ,२०११ ,पृष्ठ २४ ).

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