बुधवार, 12 जनवरी 2011

कंप्यूटर /टेलीविज़न के आगे चार घंटा से ज्यादा बैठने का मतलब .....

'जस्ट ४ आवर्स पर डे एट पीसी डबल्स हार्ट रिस्क '.इविन डेली एक्सर-साइज़ कैन नोट मेक अप फॉर दी डेमेज काज़्द ,सेज एक्सपर्ट्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जनवरी १२ ,२०११ ,पृष्ठ २५ )।
यूनिवर्सिटी कोलिज लन्दन के रिसर्च -दानों ने अपने एक अध्ययन से पता लगाया है जो लोग रोजाना अपने कंप्यूटर या टेलीविज़न के आगे चार घंटा बैठ जातें हैं उनकी किसी बड़ी दिल की बीमारी की चपेट में आजाने की संभावना १२५ %बढ़ जाती है .यह मेजर हार्ट प्रोब्लम मौत का कारण भी बन सकती है ,.बरक्स उन लोगों के जो सिर्फ दो घंटा या और भी कम समय बितातें हैं ।
अलावा इसके असमय मृत्यु की संभावना भी बढ़ जाती है .जो स्क्रीन के सामने बहुत ज्यादा समय बितातें हैं उनकी किसी भी वजह से होने वाली मौत की संभावना भी ४८% बढ़ जाती है .किसी भी किस्म की कसरत से माहिरों के अनुसार इस नुक्सान की भरपाई नहीं हो सकती ।
वजह बनती हैं इन्फ्लेमेशन और मेटाबोलिक प्रोब्लम्स जिसे दीर्घावधि बैठे रहना (फिजिकल इन -एक -टीवीटी) हवा देती है .ऐसे में एक बेहद ज़रूरी एंजाइम 'लाइपो -प्रोटीन -लाइपेज़ 'की ९०%कमी हो जाती है .यही वह एंजाइम है जो दिल की बीमारियों से बचाए रहने में एहम किरदार निभाता है ।
अध्ययन से साफ़ संकेत मिला है दो घटा या दो घंटा से ज्यादा का समय कंप्यूटर या टेलीविज़न के सामने बिताना 'कार्डिएक इवेंट 'के जोखिम के वजन को बढा देता है .जो लोग बे -हिसाब बुद्धू बक्से से चिपके बैठे रहतें हैं उनके किसी भी वजह से मौत के मुह में चले आने के खतरे के वजन के अलावा दिल से सम्बंधित बीमारियों के खतरे का वजन बढ़ जाता है ।
बचाव में ही बचाव है .बेहतर हो हर बीस मिनिट बाद थोड़ा सीट से उठकर इधर उधर टहल लिया जाए .गैर -व्यावसायिक ब्रेक ले लिया जाए ।
केवल खड़े होने और थोड़ा सा इधर उधर चलने फिरने में भी आप बैठे रहने की बनिस्पत ५०%एनर्जी ज्यादा खर्च करतें हैं .घर दफ्तर 'बैठे बैठे काम करने 'की आदत में रचनात्मक बदलाव किये जाने की फौरी ज़रुरत है जिसमे थोड़ा टहल कदमी हल्का व्यायाम भी हो .मारक सिद्ध हो रही है बैठी -ठाली जीवन शैली .

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