सोमवार, 10 जनवरी 2011

क्या धूमकेतु चंद्रमा की सतह पर जल लाये थे ?

लूनर वाटर मे हेव कम फ्रॉम कोमेट्स (दी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ,मुंबई ,जनवरी १० ,२०११ ,पृष्ठ १७ )।
अभी हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार चन्द्रमा के शैशव काल में धूमकेतुओं की बरसात के साथ जल की एक विशाल राशि भी चन्द्र सतह पर पहुंची थी ।
गत वर्ष नासा ने भी चन्द्र सतह के हमेशा ही छाया से ढके दबे भाग के क्रेटर में जल होने की पुष्टि की थी .तो चन्द्रमा एक दम से जीवन के सभी तत्वों से शून्य नहीं है यह अब पुष्ट हो चुका है ।
अब कनेक्टिकट कैम्पस वेस्लेयाँ यूनिवर्सिटी के तारा भौतिकी - विज्ञान के माहिर जेम्ज़ ग्रीनवुड अपोलो अभियान के दौरान जुटाए गए चन्द्र चट्टानों के नमूनों का विश्लेषण खासकर हाइड्रोजन समस्थानिक की बहुलता का (एबन्देन्स ऑफ़ हाई -द्रोजन आइसोटोप्स इन वाटर लविंग मिनरल काल्ड अपताईट )उसकी वेरिएशंस का चन्द्र सतह पर मौजूद खनिज एपाताईट में कर रहें हैं .यह आइसो -टॉप इस जल प्रेमी खनिज में मौजूद रहता है ।
दी सिग्नेचर ,दी एस्ट्रो -फिज़िसिस्ट्स से ,पॉइंट्स टू थ्री पोटेंशियल सोर्सिज़ :
(१)दी सब - सर्फेस लूनर मेंतिल (२)प्रोतोंस ब्रोट बाई सोलर विंड्स (३)कोमेट्स
पहले भी तीन धूमकेतुओं में हाई -द्रोजन आइसोटोप्स का पता चल चुका है .धूमकेतुओं को तो कहा ही फजी आइस बाल्स गया (फ्रोज़िन बॉडी ऑफ़ वाटर ) है खासकर इन जटा -धारी तारों का सिर ज़मी हुई बर्फ से बना होता है .फ्रेड होइल तो पृथ्वी पर जीवन को धूमकेतुओं से आयातित बतलाते रहें हैं .

कोई टिप्पणी नहीं: