शनिवार, 22 जनवरी 2011

क्या है 'क्रीमें कोंगो हेमोरेजिक फीवर '?

"ए जेनेटिक डिजीज कौज्द बाई 'बुनया - वाय्रासिस '/बुन्याविरुसेस देट हेज़ अकर्ड इन दी फोर्मर यु एस एस आर ,.दी मिडिल ईस्ट ,एंड एफ्रिका .इट कौजेज़ ,ब्लीडिंग इनटू दी इंटेस -टा -इन्स ,किद्नीज़ जेनीतल्स एंड माउथ विद अपटू ५५०% मोर्टेलिटी .दी वायरस इज स्प्रेड बाई वेरियस टाइप्स ऑफ़ टिक फ्रॉम वाइल्ड एनिमल्स एंड बर्ड्स टू डोमेस्टिक एनिमल्स (स्पेशियली गोट्स एंड केटिल) ईंद दस टू ह्युमेंस ।
यह एक विषाणुओं से पैदा होने वाला खतरनाक रोग हैं .विषाणु हैं :बुन्या -वाय्रासिस .पूर्व में यह रोग पूर्व सोवियत संघ ,मध्य पूर्व ,और अफ्रिका में फ़ैल चुका है ।
संक्मित व्यक्ति की इंतेस -टा -इन्स में ,अंत -डियों में ,गुर्दों और प्रजनन अंगों में तथा मुख में यह रक्त स्राव की वजह बनता है .इससे संक्रमित ५०%तक व्यक्तियों की मौत हो जाती है ।
इसके फैलाव की वजह पिस्सुओं (टिक्स )की विभिन प्रजातियाँ बनतीं हैं जो जंगली पशुओं पर पलने वाले परजीवी हैं .पक्षी ,मवेशी तथा पालतू पशुओं पर भी यह परजीवी पल्तें हैं .इनके प्रकोप से पशु -पक्षी और मानव दोनों को बचाया जाना टेढा काम साबित होता है .संक्रमित पिस्सू को खुद नहीं होता है यह रोग -संक्रमण ।

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