मंगलवार, 11 जनवरी 2011

कैंसर इलाज़ विकल्प ही विकल्प हैं ....

कैंसर ट्रीटमेंट ओपशंस :
(१)कीमो -थिरेपी :कैंसर कोशिकाएं आम कोशिकाओं के बरक्स तेज़ी से बढती हैं ,कुनबा परस्ती करती हैं और ट्यूमर ग्रोथ से गांठ बनने की यह वजह बन जाती है ।
कीमो -थिरेपी कोशिकाओं के विभाजन को थाम लेती है इन्हें आगे कुनबा परस्ती करने द्विगुणित होने मल्टी- प्लाई करने से रोक देती है .लेकिन रसायनों के स्तेमाल की इस विधि में स्वस्थ कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैं .कीमो -थिरेपी स्वस्थ और कैंसर ग्रस्त कोशाओं में विभेद नहीं कर पाती ।
कीमो -थिरेपी के पार्श्व -आवांछित प्रभावों में नौज़िया (मचली आना ,उबकाई की अनुभूति होना ),उलटी ,थकान भयंकर पीड़ा और हेयर लोस (गंजपन )शामिल है .लेकिन यह अस्थाई प्रभाव हैं क्योंकि स्वस्थ कोशिकाएं फिर से उगने बढ़ने लगतीं हैं ।
कीमो -थिरेपी सुइयों के ज़रिये (अंत :शिरा इन्जेक्संस )तथा खाने वाली गोलियों के ज़रिये भी मुहैया करवाई जाती है ।
(२) रेडिओ -थिरेपी/विकिरण चिकित्सा :इसमें कैंसर के इलाज़ और प्रबंधन के लिए विकिरण का स्तेमाल किया जाता है ।
यह विकिरण लक्षित एरिया की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है .कैंसर ग्रस्त कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं तथा स्वस्थ कोशिकाएं देर सवेर नुकसानी की भरपाई कर लेतीं हैं ।
विकिरण पुंज मरीज़ से दूर रखी मशीन से भी लक्षित अंग को मुहैया करवाया जाता है .रेडिओ -सक्रिय स्रोत भी ट्यूमर तक पहुंचाया जाता है ।
हेयर लोस ,मिचली आना इसके आम अवांछित असर हैं ,बाहरी चमड़ी पर्त भी इससे अस्थाई तौर पर नष्ट हो सकती है .लेकिन इलाज़ पूरा होने के बाद चमड़ीकी यह बाहरी पर्त अपनी भरपाई कर लेती है बालों की तरह ।
(३ )एंजियो -जाई -इम्स(फेज़ थ्री ट्रायल्स इन इंडिया ):
एंजियो -ज़ाइम एक एंजाइम (किण्वक )होता है जिसका काम राइबो -न्यूक्लिक सन्देश को दिमाग से ब्लड वेसिल्स से होता हुआ ट्यूमर तक का सफ़र तय करने से रोकना है ।
एंजियो -ज़ाइम इज एन एंजाइम देत कैन इंटर -सेप्ट राइबो -न्यूक्लिक एसिड मेसेजिज़ फ्रॉम दी ब्रेन टू दी ब्लड वेसिल्स लीडिंग टू दी ट्यूमर ।
ऐसा होने पर कैंसर (ट्यूमर )के गिर्द ऊतकों में ब्लड वेसिल्स की बढ़वार थम जाती है ।
भारत में इस दवा के तीसरे चरण के ट्रायल्स होने हैं .ट्रायल्स की कामयाबी के बाद ही एंजियो -ज़ाइम की सुइयां मरीजों को लगाईं जाने लगेंगी .

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