सोमवार, 10 जनवरी 2011

कविता :टू जी स्पेक्ट्रम .

"टू जी स्पेक्ट्रम "-नन्द मेहता वागीश ,१२१८ ,सेक्टर -४ ,एर्बन एस्टेट ,गुडगाँव -१२१-००१ ।
पकड़ा गया है भ्रष्ट ,राजा या फिर रंक कहो ,
चाहता इतना विपक्ष ,कि उसको सज़ा दो ।
पर सरकार तो सरकार है ,तर्क वजनदार ,
कौन है भ्रष्ट ,कहाँ है भ्रष्टाचार !!
माना कि तुमने पकड़ा किसी को रंगे हाथ ,
पर संसद ही तो मंच है ,मिलकर बैंठें साथ ,
क़ानून का होगा पालन ,संकट की घडी है ,
पहले इस पर बहस करें मुश्किल आन पड़ी है । चोरी करना शाश्त्र है या फिर ललित कला ,
देखना सब कुछ सुलझेगा, हल होगा मसला ।
बोलो सब भ्रष्टन की जय !
बोलो सब कप -टन की जय !!
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई ).

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