गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

आपके दफ्तरी कामकाज को भी असर ग्रस्त करता है जीवन साथी की बे -रोजगारी और तनाव .

अन -एम्प -लोइड स्पाउसिज़ स्ट्रेस कैन अफेक्ट योर पर्फोर्मंस (मुंबई मिरर ,फरवरी २४ ,२०११ ,पृष्ठ २७ )।
क्या आप अपने जीवन साथी के बे -रोज़गारहोने को लेकर परेशान हैं ?प्रबंधन करना होगा इस तनाव का साथी के साथ हिस्से दारी करके वरना आपके पारिवारिक और दफ्तरी काम पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है ।
याद रखिये साथी की इस अवस्था में अन देखी करने से समस्या हल नहीं होगी ,घर -बाहर दोनों जगह आपकी उत्पादकता ,रचनात्मकता प्रभावित होगी .यही निचोड़ है उस अध्ययन का जो हाल ही में कोलोराडो विश्व विद्यालय के रिसर्चरों ने 'जर्नल ऑफ़ एप्लाइड साइकोलोजी' में प्रकाशित किया है ।
अध्ययन में रिसर्चरों ने ऐसे दम्पतियों को शरीक किया जिनमे से सिर्फ इक बा -रोज़गार था,दूसरा जॉब की तलाश में भटक रहा था .दोनों हमजोलियों का रोजमर्रा का तनाव मापा गया .दवाब ग्रस्त स्थितियां किस प्रकार उनके काम को प्रभावित कर रहीं थीं इसका निरंतर जाय जा लिया गया ।
पता चला ऐसे में दोनों को मिलजुलकर काम बांटना चाहिए ,हिस्से दारी करनी चाहिए तकाजों की ,सिर्फ थोड़ी बहुत राहत पहुंचाने तनाव की उग्रता को कम करवाने से लाभ विशेष कुछ नहीं होगा ।
घर में यदि आपको कुछ अच्छा नहीं लग रहा है तो यही स्थिति आपके साथ दफ्तर तक चली आएगी ,दफ्तर में भी आपको कुछ भला नहीं लगेगा ,सब कुछ बुरा बुरा ही लगेगा ।
खाली मेरिटल सपोर्ट से भी काम बनने वाला नहीं है ,बोस की सपोर्ट ,समर्थन और सहयोग भी चाहिए .यही सभी के हित में होगा .मंदी के मौजूदा दौर में यह और भी ज़रूरी है .

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