गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

रह्यु -मेटिक आर्थ -राय -टिस को बदतर बनाती है ज़रुरत से कम नींद .

ज़रुरत से कम नींद ले पाना र्ह्युमेतिक आर्थ -राय -टिस के लक्षणों को और भी उग्र बदतरीन बना देता है .पर्याप्त और अच्छी नींद न ले पानाइस रोग में दर्द की तीव्रता के साथ अवसाद के लक्षणों को भी उभारता है ,थकान और मरीज़ की कार्यात्मक असमर्थता (फंक्शनल डिस -एबिलिटी ) को भी बढाता है ।
पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ़ नर्सिंग के रिसर्चरों के अनुसार इन मरीजों की नींद का समाधान इनके स्वास्थ्य और आम जीवन को कहीं बेहतर बना सकता है .चाहे औषधीय या फिर बिहेवियर इंटर -वेंशन के ज़रिये नींद की गुणवता और नींद के घंटों को बढाया जाना चाहिए ।
अध्ययन में र्ह्युमेतिक आर्थ -राय -टिस से ग्रस्त १६२ मरीजों का इस बाबत पूरा रिकार्ड बनाया गया है जिसमे इनमे नींद की गुणवत्ता और फंक्शनल डिसेबिलिटी की व्यापक जांच की गई है ।
मरीजों के इस सेम्पिल में औसत उम्र ५८.५ बरस तथा इनमे ७६ %महिलायें थीं ।
सभी का रोग निदान कमसे कम २ बरस पूर्व ही कर लिया गया था .लेकिन औसतन १४ बरसों से इस सेम्पिल में शामिल लोग इस रोग से ग्रस्त थे ।
नतीजों में इनकी नींद की गुणवत्ता ,अवसादथकान और फंक्शनल डिस -एबिलिटीतथा दर्द के आवेग को रखा गया ।
मरीजों का सोशियो -देमोग्रेफिक ब्योरा तथा मेडिकल हिस्टरी भी रिकार्ड में ली गई ।
उम्र ,सेक्स (जेंडर ) के आलोक में नींद की गुणवत्ता और फंक्शनल डिस -एबिलिटी का जायजा लिया गया ।कंट्रोल भी किया गया इन घटकों को अंतिम मूल्यांकन में .
पता चला इनमे से ६१ % मरीज़ ठीक से सो नहीं पाते थे ,पूअर स्लीप से ग्रस्त थे .३३% पीड़ा की शिकायत करते थे .जिसकी वजह से उनकी नींद उचाट हो जाती थी .उचट जाती थी ,टूट जाती थी दर्द से .ऐसा हफ्ते में ३-४ या और भी ज्यादा बार हो जाता था .

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