शनिवार, 26 फ़रवरी 2011

वसा हमारे पाचन तंत्र में कैसे टूटती है ?

शरीर में ऊर्जा का मुख्य स्रोत वसा (फैट्स )ही हैं .इक ग्राम फैट से ९ केलोरीज़ प्राप्त होतीं हैं .पाचन की प्रक्रिया में मख्खन जैसी वसाएं आंत में ही घुल जाती हैं .लीवर(यकृत ) से पैदा होने वाले अम्ल इक कुदरती डिटर्जेंट के रूप में फैट को पानी में घोल देतें हैं .साथ ही बड़े फैट कण छोटे कणों में तब्दील हो जातें हैं .इन्हीं में से कुछ फैटी एसिड तथा कोलेस्ट्रोल भी होतें हैं .ये सब मिलकर वसा को मुकोसा की कोशिकाओं में प्रवेश दिलवातें हैं .यहाँ आकर ये छोटे छोटे कण बड़े कणों में तब्दील हो जातें हैं .इनमे से अधिकाँश आँतों के निकट लिम्फेतिक्स (लसिका तंत्र ,लिम्फेटिक सिस्टम )में चले जातें हैं .यही छोटी धमनियां वसा को ह्रदय की शिराओं तक ले आतीं हैं .जहां रक्त इस वसा को शरीर के सभी भागों में पहुंचा देता है ।
मुकोसा मुकस मेम्ब्रेन को कहा जाता है .म्यूकस मेम्ब्रेन इज दी म्यूकस लाइनिंग इन दी बॉडी पेसेजिज़ ऑफ़ ओल मेमल्स देट कन्तेंस म्यूकस सिक्रेतिंग सेल्स एंड इज ओपन डायरेक्टली ऑर इन -डायरेक्टली टू दी एक्सटर्नल एन्वायरन्मेंट ।

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