शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

पार्किन्संज़ के मामले में क्या नया हो रहा है ?शोध की खिड़की से ....

व्हाट रिसर्च इज बींग डन(शोध के झरोखे से ):
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरो -लोजिकल डिस -ऑर्डर्स एंड स्ट्रोक्स (एन आई एन डी एस यानी निंड्स)पार्किन्संज़ डिजीज से जुड़ा तमाम शोध कार्य :नेशनल इंस्टिट्यूटज ऑफ़ हेल्थ की लेबोरेट्रीज़ में कर रहा है जिनमे एनीमल स्टडीज़ भी ज़ारी हैं यह पता लगाने के लिए की यह मर्ज़ किस तरह आगे बढ़ता है अलग अलग चरणों में .इसी के आधार पर अभिनव ड्रग थिरेपी विकसित की जा रहीं हैं . ।दूसरी संस्थाओं ,संस्थानों को भी अनुदान देकर शोध कार्य में हाथ बटा रहा है .
रोग के लिए कुसूरवार संभावित पर्यावरणी कारणों की भी पड़ताल की जारही है कौन - कौन से ज़हर (विषाक्त पदार्थ ,तोक्सींस ) हैं ,जो हमारे पर्यावरण में पैठे हुए हैंऔर जो इस विकार को प्रेरित कर सकतें हैं ,विकारग्रस्त जीवन इकाइयों का क्या रोल हो सकता है .प्रोटेक्टिव एजेंट्स के विकास में भी कुछ साइंसदान मुब्तिला हैं .कोशिश है कुछ ऐसी दवाएं लायें जो रोग को मुल्तवी रखें ,बचावी सिद्ध हों ,और रोग हो ही जाए तो लक्षणों को रिवर्स कर सकें ,व्यक्ति को पहले जैसा ही हष्ट -पुष्ट ,लक्षण -मुक्त करदें ।
(ज़ारी ...)

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