शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

टेस्ट्स एंड डायग्नोसिस फॉर पार्किन्संज़ डिजीज .

टेस्ट एंड डायग्नोसिस फॉर पार्किन्संज़ :क्योंकि कोई सुनिश्चित परीक्षण इस रोग के निदान के लिए नहीं हैं इसलिए शुरूआती चरण में इसे डायग्नोज़ कर पाना खासा मुश्किल रह सकता है .एक दिक्कत और भी है -
इसके लक्षण किन्हीं अन्य वजहों से भी हाज़िर हो सकतें हैं -
मसलन कुछ अन्य न्युरोलोजिकल डिस -ऑर्डर्स ,तोक्सिंस ,हेड ट्रौमा ,कुछ दवाएं भी पार्किन्संज़ जैसे ही लक्षणों की वजह बन सकतीं हैं जो व्यक्ति अन्य बीमारियों के लिए लेता आया है .इनमे प्रमुख हैं -
(१)क्लोर -प्रोमा -जीन (थोरा -जीन )(२)प्रो -क्लोर -पैरा -जीन (कोम्पाज़िन),या फिर मेटाक्ला-प्रा -मा-इड (रेग्लन )आदि ।
पार्किन्संज़ रोग का "रोग -निदान "आपकी मेडिकल हिस्ट्री तथा न्यूरो -लोजिकल परीक्षणों पर आधारित होता है ।

मेडिकल हिस्ट्री में -यह भी जाना जाता हैआपके डॉ .केद्वारा आप और कौन सी दवाएं लेते रहें हैं ,आपके परिवार में पार्किन्संज़ डिजीज का पूर्व वृत्तांत तो नहीं रहा है ।
न्युरोलोजिकल एग्जाम :इसमें ख़ास तौर से आपका चलने फिरने का ढंग (वाकिंग )तथा को -ओर्डिनेशन (समन्वयन )का जायजा लेने के अलावा कुछ सीधे- साधे हाथ से करने वाले काम भी मरीज़ से करवाके देखे जातें हैं रोग के पुख्ता होने ,डायग्नोज़ होने, रोग का निदान होने की संभावना अधिकतम हो सकती है यदि -
कमसे कम तीन ख़ास साइन और सिम्तम "पार्किन्संज़ रोग "के जो खासुल- ख़ास हैं उनमे से आपमें दो दिखलाई दें.-ये लक्षण हो सकतें हैं -
(१)ट्रेमर (२)स्लोइंग ऑफ़ मोशन (३)मसल रिजी -डीटी.(४)लक्षणों का शरीर के एक ही पार्श्व (एक ही हाथ की ओर होना ,बाए के या दाए अंग के हाथ की तरफ के .(५)विराम की अवस्था में कम्पनों का बढ़ जाना ,मसलन आप अपने हाथ आराम से गोद में धरे बैठें हैं ,चल फिर नहीं रहें ओर कम्पन तेज़ होरहें हैं .(६)लीवोडोपा दवा से खासा फायदा मिलना ।
(ज़ारी...).

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