बुधवार, 20 अप्रैल 2011

अल्ज़ाइमर्स इलाज़ और दवाएं .

अल्ज़ाइमर्स के लिए उपलब्ध मेडिकेसंस कुछ वक्त के लिए ज़रूर सहायक होतें हैं याददाश्त और बोध सम्बन्धी लक्षणों में सुधार आयेगा .दो प्रकार की दवाएं संज्ञानात्मक (बोध सम्बन्धी )लक्षणों में सुधार के लिए काम में ली जाती हैं ।
(१)कोली -नेस्टिरेज़ इन -ही -बीटर्स:
ये दवाएं उन जैव रसायनों के स्तर को बढ़ाती हैं जो अल्ज़ाइमर्स रोग में छीजने लगतें हैं तथा जिनके ज़रिये कोशाओं के बीच में संवाद होता है "सेल टू सेल" कम्युनीकेश केमिकल कह सकतें हैं आप इन्हें . इनमे (कॉलिन -एस्तिरेज़ )में आप डोनी -पेज़िल(अरिसप्त )और गलांता -माइन(रज़ा- डा -इन )और रिवास्तिग -माइन (एक्सेलों )को गिना सकतें हैं .ये सभी दवाएं खोली -नेस्टिरेज़/खोलीं -एस्तिरेज़ हैं ।
इनके मुख्य पार्श्व प्रभाव हैं डायरिया (अतिसार ,उलटी दस्त ),मचली,वोमिटिंग ।
(२)मेमन -टीन/मेमान्तिने(नामेंडा):यह दवा इक दूसरे ब्रेन सेल कम्युनिकेशन नेट वर्क पे असर करती है (हमारा दिमाग इक टेलीफोन एक्सचेंज ही तो है ).इसका स्तेमाल कई दफा उपर्युक्त दवाओं के साथ भी किया जाता है ।
इसका मुख्य प्रभाव है :डिज़ी -नेस ।
क्रिएटिंग ए सेफ एंड सपोर्टिंग एन -वाय्रंमेंट :रहन सहन (रहनी सहनी )के हालात को मरीज़ के अनुकूल बनालेना किसी भी ट्रीट -मेंट का महत्वपूर्ण अंग है .यह मरीज़ को उसके ठीक ठाक होने के एहसास को बनाए रखने के लिए भी ज़रूरी है .इसके लिए -
(१)अतिरिक्त फर्नीचर ,बेकार अन -उपयोगी चीज़ों ,रग्स आदि को हटा देना चाहिए ।
(२)जीनों में मजबूत हेंड -रेल्स रहनी चाहिए ,बाथरूम्स में भी सपोर्ट्स चाहिए ।
(३)मरीज़ के जूते चप्पल आरामदायक रहने चाहिए .दीज़ शुड प्रोवाइड गुड ट्रेक्सन।
(४)घर में ज्यादा शीशे (आदम कद आईने खासकर ) न हों .मरीज़ को कई मर्तबा अपना चेहरा देखते हुए भी किसी और के होने का एहसास और भ्रम होता है .इमेज़िज़ भ्रम और डर पैदा करती हैं .
एक्सरसाइज़ :बाकी सब लोगों की तरहअल्ज़ाइमर्स के मरीज़ के लिए भी कसरत का अपना योगदान रहता है .३० मिनिट की सैर जोड़ों ,पेशियों के स्वास्थ्य के अलावा मन को भी सुकून देती हैदिल के लिए भी अच्छी है , लेकिन मरीज़ के साथ में सदैव ही कोई रहना चाहिए .कसरत करते रहने से नींद में भी आराम रहता है ,कब्ज़ की शिकायत भी नहीं रहती है .अकेले अगर वह जा ही रहा है तो उसका नाम पता गले में लटका होना चाहिए आई डी की तरह ।
जो लोग सैर को नहीं जा सकते उनके लिए स्टेशनरी बाइक एक विकल्प हो सकता है .
न्यूट्रीशन :अल्ज़ाइमर्स के मरीज़ अकसर खाना , खाना ही भूल जातें हैं ,पकाना भी ,पकाने में दिलचस्पी भी ख़त्म हो जाती है ,रेसिपी भी भूल जाती है .इनके लिए हेल्दी कोम्बिनेशन ऑफ़ फूड्स का कोई मतलब भी नहीं रहता यह ध्यान तीमारदार को ही रखना पड़ता है मरीज़ समय पर खाए और स्वास्थ्य कर भोजन ले यथेष्ट मात्रा में ।
पानी पीना भी ये भूल जातें हैं इसलिए निर्जलीकरण (डि -हाई -डरेशन )से भी इन्हें बचाना होता है ,पानी तो वैसे भी बॉडी को ऋ-चार्ज करता है ,पीते -पिलाते रहना चाहिए .और सबसे ज्यादा ज़रूरी है इनकी हाई -जीन ,रख -रखाव का ध्यान रखना खासकर उनका जो अपनी संभाल ही नहीं कर पाते .
सात ग्लास तरल पदार्थ उसे मयस्सर होना ही चाहिए ,हेल्दी जूस आदि ,केफीन युक्त पेय नींद में खलल ला सकतें हैं ,बे -चैनी भी बढा सकतें हैं ,पेशाब भी ज्यादा लातें हैं .सीमित स्तेमाल ही हो इनका तो अच्छा ।
अल्ज़ाइमर्स के रोगियों के लिए विशेष रूप से निर्मित कहे बतलाये बहु -विज्ञापित "मेडिकल फूड्स "का कोई मतलब नहीं होता है .इन्हें खाद्य एवं दवा संस्था से मंजूरी प्राप्त नहीं है .बहकाने वाला धंधा है यह ।
(ज़ारी...).

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