शनिवार, 28 मई 2011

व्हाट कौज़िज़ मल्तिपिल स्केलेरोसिस ?

व्हाट काज़िज़ मल्तिपिल स्केलेरोसिस ?
इस रोग का कारण अभी भी अनुमेय ही बना हुआ है ठीक ठीक कोई नहीं जानता इसके होने की वजहों को .गत दो दशकों से रिसर्चरों ने हमारे रोग प्रति -रोधी तंत्र (इम्यून सिस्टम )से ताल्लुक रखने वाले विकारों और आनुवंशिकी पर अपना ध्यान इस रोग की व्याख्या के लिए टिकाया हुआ है .
हमारे शरीर का यह हिफाज़ती तंत्र बहुत ज्यादा सुव्यवस्थित और मुस्तैद रहता है .,रेग्युलेतिद (विनियमित )भी ।
किसी भी बाहरी विजातीय या आक्रान्ता (अग्रेसर )द्वारा प्रेरित किये पर यह चाक चौबंद व्यवस्था मोर्चा संभाल लेती है आक्रान्ता के खिलाफ ,शिनाख्त करने के बाद उसपर सटीक निशाना साधती है और फिर पूर्व वत अपने काम में जुट जाती है ।
लेकिन यह मुस्तैदी तभी तक कायम रहती है जब तक प्रति -रक्षी इम्यून कोशाओं में द्रुतगामी संचार बना रहता है ,कोशाओं का बनना सुचारू रूप चलता रहता है .,ऐसी प्रति -रक्षी कोशाओं का जो आक्रान्ता को तुरंत धूल चटा दें,जमीन सूंघा दें ।
रिसर्चरों को आशंका है "एम् एस "में कोई बाहरी आतंकी ,कोई वायरस ,कोई विजातीय तत्व इम्यून सिस्टम का ब्रेन वाश कर देता है ,तब्दील कर देता है इसे यहाँ तक ,यह अपने पराये का फर्क भूल जाता है अपनों को ही निशाना बनाने लगता है .अब बताओं हिफाज़ती कोशाओं की संकेंद्रित कवरिंग माय्लिन शीथ को ही यह शरीर प्रति -रक्षा प्रणाली तबदील हो जाने पर शत्रु मान बैठती है .इसी पर धावा बोल देती है ।
ऑटो -इम्युनिटी :
इम्यून सिस्टम द्वारा अपने ही हिफाज़ती तंत्र माय्लिन आच्छादित ऊतकों पर हमला करना ऑटो इम्युनिटी कहलाता है .इसीलिए इसे (मल्तिपिल स्केलेरोसिस )को ऑटो -इम्यून डिजीज या डिजीज ऑफ़ ऑटो -इम्युनिटी कहा जाता है .
हालाकि कुछ माय्लिन की रिकवरी हो सकती है ,मुरम्मत और दुरुस्ती भी हो सकती है ,लेकिन कुछ नाड़ियाँ नंगी रह जातीं हैं इनका वस्त्र ,बाहरी आवरण माय्लीन शीथ नष्ट हो जाती है ,दिमाय्लेतिद हो जातीं हैं कुछ नर्व्ज़ हमेशा हमेशा के लिए ।
स्कारिंग आल्सो अकर्स,इन निशानों में (स्कार्स में )पदार्थ ज़मके,इकठ्ठा होके प्लाक बना देता है ।
(ज़ारी ...)

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