गुरुवार, 19 मई 2011

यूटेराइन फिब -रोइड्स के प्रबंधन में सर्जरी .

गर्भाशयीय फ़िब्रोइद्स के प्रबंधन में शल्य की भूमिका :
फ़िब्रोइद्स के मोडरेट या फिर गंभीर और उग्र किस्म के लक्षण होने पर सर्जरी ही एक बेहतर समाधान समझा गया है। .शल्य प्राविधियों मी शामिल हैं :
(१)मेयो -मेक -टमी (मयो -मेक -टामी):इस शल्य प्राविधि में फिब -रोइड्स (गर्भाशयीय गठानों )को बिनागर्भाशय के स्वस्थ ऊतकों को कोई नुकसानी पहुंचाए हटा दिया जाता है .यह उन महिलाओं के लिए बेहतर रहती है जो आइन्दा संतान की इच्छुक हैं .,या फिर किसी और भी वजह से अपनी बच्चे दानी को बचाए रहना चाहतीं हैं ।
मयो -मेक -टमी के बाद महिला गर्भ धारण कर सकती है .लेकिन यदि फिब -रोइड्स गर्भाशय के अन्दर की दीवार में ज्यादा अन्दर की तरफ बढ़ चले हैं तब प्रसव के लिए सिजेरियन सेक्शन का भी सहारा लेना पड़ सकता है .
मयो -मेक -टमी बहु -विध की जासकती है ।
यह एक मेजर सर्जरी के रूप में भी की जाती है ,इन -वोल्विंग कटिंग इनटू दी यूट्रस ,लापरो -स्कोपी या फिर हिस्टेरो -स्कोपी के बतौर भी की जाती है ,फैसला इस बात पर निर्भर करता है , फिब -रोइड्स की किस्म क्या है ,आकार और स्थान क्या है ।
मयो -मेक -टमी के बाद नए फिब -रोइड्स फिर पनप सकतें हैं , जो बाद में दुःख देसकतें हैं .मयो -मेक -टमी सर्जरी के सभी संभव जोखिम लिए रहती है .अलबत्ता जोखिम सर्जरी की व्यापकता ,गहनता पर निर्भर करता है ,हाव एक्स -टेंसिव दी सर्जरी इज .
(ज़ारी ...)

1 टिप्पणी:

Rajesh Kumari ने कहा…

aap mere blog par aaye aur apna precious comment diya bahut bahut shukriya.achche lekh padhne ko mila.leek se hatkar padhkar achcha laga.kuch log yese hote hain jinko hum taaumr yaad rakhte hain.kuon ki vo leek se hatkar hote hain.