रविवार, 27 नवंबर 2011

अच्छी नींद छुटकारा दिलवाती है दुखद यादों के दंश से .

केलिफोर्निया और बर्कले विश्वविद्यालय के रिसर्चरों ने पता लगाया है गहरी नींद से पैदा स्वप्न अवस्था (रैम अवस्था ,Rapid eye movement sleep )हमारे संवेगों ,मनो -आवेगों ,का संशाधन करके हमें दुखद यादों के दंश से मुक्ति दिलवा सकती है .ओवर -नाईट थिरेपी का काम करती है .वो कहतें हैं न वक्त सारे जख्म भर देता है अच्छी गुणवत्ता वाली नींद में गुजरा वक्त जादुई स्पर्श सा जख्मों को भरने वाला सिद्ध होता है .यादों को खंगालती है गहरी रैम अवस्था स्लीप उन्हें सही संदर्श और सन्दर्भ मुहैया करवाती है .कुछ ऐसे पुनर -समायोजित करती है री -एक्टिवेट करती है अच्छी नींद यादों को कि न्यूरो -केमिस्ट्री नींद की दुखद यादों का शमन करती ,स्ट्रेस न्यूरो -रसायनों का शमन करती दुखद यादोंअनुभवों के दंश से राहत दिलवाती है . माहिरों की यही राय है .
अध्ययन में शामिल 30 सेहतमंद युवाओं को रिसर्चरों ने दो वर्गों में विभक्त करने के बाद एक समूह के तमाम युवाओं को सुबह और शाम दो मर्तबा 150 संवेगात्मक छवियाँ दिखलाई .इस अंतराल में ये प्रतिभागी सचेतन जागृत अवस्था में ही रहे .छवियों को दिखलाने के बाद इनके दिमाग की सक्रीयता दर्ज़ करने के लिए MRI उतारे गए .
जबकि दूसरे वर्ग के तमाम लोगों को सिर्फ शाम को बाद उसके रात की नींद लेने के बाद अगली सुबह यही संवेगात्मक चित्र दिखलाए गए .फिर इनका चुम्बकीय अनुनाद चित्रांकन किया गया .
दूसरे समूह के तमाम युवाओं में कमतर साम्वेगात्मक प्रतिक्रियाएं दर्ज़ हुईं .
नींद का जादुई असर दिमाग के एक हिस्से Amygdala पर पड़ा .इस हिस्से की Reactivity बेहद कमतर हो गई . यही वह दिमागी हिस्सा है जो राग विराग संवेगों हमारे ज़ज्बातों सारी रागात्मकता Emotions का संशाधन ,processing करता है .
This allowed the brain's "rational"prefrontal cortex to regain control of the participants emotional reactions ,the researchers said .
ram ram bhai !ram ram bhai !
27 NOVEMBER,2011,4C,ANURADHA,NOFRA,COLABA,MUMBAI-400-005
न्यूरोन प्रत्यारोप से एक दिमागी विकार दुरुस्त हुआ .
(Researchers rebuild the brain 's circuitry /Mumbai mirror ,November 26,2011/P23,Brain stem cell transplant :Way to beat Parkinson's ?/THE TIMES OF INDIA ,NOVEMBER26,2011,MUMBAI,ED.P!9.)
एक दिमागी विकार होता है जिसमे दिमाग का आधारीय हिस्सा हाइपोथेलेमस एक हारमोन लेप्टिन के प्रति अनुक्रिया करना बंद कर देता है नतीज़न चय अपचयन की प्रक्रिया बेकार हो जाती है ,प्राणि मात्र को ऐसे में यह इल्म ही नहीं होता कि खाना कब बंद करना है भले पेट भर गया हो .नतीजा होता ओवरवेट होते चले जाना . यही वह हारमोन है जो Metabolism को Regulate करता है चयअपचयन का विनियमन करता है .दिमाग को तृप्ति और पेट भर जाने का एहसास कराता है .

लेकिन चूहों की उत्परिवर्तित किस्म (कुछ लेबोरेट्री रोदेंट्स )में इस प्रक्रिया के बाधित होने से इनमे Morbid obesity पैदा हो जाती है .न्यूरोन प्रत्यारोप से इस विकार को ही दुरुस्त किया गया है .अपने प्रयोगों में साइंसदानों ने विकार ग्रस्त दिमागी परिपथ को दुरुस्त करके चूहों के हाइपोथेलेमस को लेप्टिन का स्तेमाल करने योग्य बना दिया .इस एवज विकास की एक समुचित अवस्था में भ्रूण से सामान्यप्रकार्य करने वाले न्यूरोन लेकर रुग्न (बीमार ) म्युटेंट माइस के हाइपोथेलेमस में प्रत्यारोप लगाया गया . i
एक प्रकार से यह कोशिका स्तर पर हाइपोथेलेमस की दुरुस्ती का उदाहरण है .बेहतरीन मिसाल है .पहली मर्तबा किया गया करिश्मा है .दिमाग का बड़ा ही पेचीला इलाका है हाइपोथेलेमस जो हमारी भूख ,शरीर के तापमान ,यौन वृत्ति रूचि अरुचि ,आक्रामकता का निर्धारण और विनियमन करता है .चयअपचयन का विनियमन करता है .
उम्मीद की जाती है यही तरकीब न्यूरोन प्रत्यारोप एक दिन रीढ़ रज्जू की चोट ,spinal cord injury ,Autism ,Epilepsy ,Parkinson's और Hatington's disease का समाधान प्रस्तुत करेगी गौर तलब है आज की तारीख में आत्म विमोह (ऑटिज्म ),पार्किन्संज़ और हटिंगटन सिंड्रोम ला इलाज़ ही बने हुए हैं ..
एक अवधारणा की पुष्टि हुई है इस रिसर्च से वह यह कि नए न्यूरोन (दिमागी कोशिका )विकार ग्रस्त और पेचीला दिमागी सर्किटों (परिपथों )में समायोजित करके ऐसे सर्किटों को दुरुत किया जा सकता है .यह एक बड़ी बात है .

2 टिप्‍पणियां:

SANDEEP PANWAR ने कहा…

जानकारी से भरपूर,

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अब नींद एक घंटे बढ़ा देते हैं हम।