मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

भविष्य वेत्ता भविष्य निर्धारक सुपर -कंप्यूटर .

जल्दी ही बनेगा एक ऐसा सुपरकंप्यूटर जो न सिर्फ भविष्य को देख सकेगा उसकी नियति भी तय कर सकेगा .आप चाहे तो इसे भविष्य वेत्ता और भविष्य निर्धारक भी कह सकतें हैं .
(Deep Thought :Soon a supercomputer that can predict (and also control)the future/Mumbai Mirror/SCI-TECh/Dec6,2011P22).
योरोपीय यूनियन ने कमर कसली है फैसला कर लिया है पूरी तैयारी करली है एक स्कीम को अनुदान मुहैया करवाने की जिसके तहत एक ऐसी बिरली कंप्यूटर प्रणाली विकसित की जाएगी जो न सिर्फ बीमारियों के फैलने की पहले से इत्तला दे सकेगी रोकथाम के उपाय भी बतलाएगी .आर्थिक मंदी की प्रागुक्ति कर सकेगी .भले इस पर व्यय आने वाली राशि वर्तमान में ९०० मिलियन पोंड बतलाई जा रही है .
इसे LIVING EARTH SIMULATOR PROJECT(LES)कहा जा रहा है .दुनिया भर के चुनिन्दा साइंसदान इसकी हिमायत कर रहें हैं यह हर उपलब्ध चीज़, प्रणाली की नक़ल उतारने को उद्यत रहेगी .वैसी ही स्थितियां पुनर -रचित करेगी जो हमारे पृथ्वी नामक इस ग्रह पर कहीं भी मौजूद हैं .फिर चाहें वह त्वीट्स हो या सरकारी गैर -सरकारी निगमीय आंकड़े हों .इनका संग्रहण और विश्लेह्सन कर यह सामाजिक रवायत चलन सोशल ट्रेंड्स तथा आइन्दा आने वाली संभावित आर्थिक मंदी के बारे में आगाह कर सकेगी .
इसके लिए आलमी स्तर पर उपलब्ध सबसे ज्यादा शक्तिशाली और तेज़ी से काम को अंजाम देने वाले कम्प्यूटरों का स्तेमाल किया जाएगा .इस प्रणाली को सही अर्थों में हमारे ग्रह का स्नायुविक तंत्र" Nervous system for the planet " कहा जा रहा है .इसे वर्तमान बेकार या नाकारा हो चुके आउट देतिद (Out dated economic models)अर्थ शाश्त्रीय निदर्शों का स्थानापन्न ,कारगर विकल्प कहा जा रहा है .
केन्द्रीय विचार व्यापक स्रोतों से ताज़ा ताज़ा सूचना Live information जुटा कर उसका विश्लेषण करना है .यह सब इत्तला अखबार डेली मेल को मुहैया करवाई है Swiss Federal Institute of Technology ,Zurich के Dirk Helbing ने .इसे सन्डे टाइम्स ने भी प्रकाशित किया है .
आज हमारे सामने अनेक समस्याएं मौजूद हैं -सामाजिक और आर्थिक अनिश्चितताएं हैं अस्थिरताएं हैं ,लडाइयां हैं फसाद हैं ,बीमारियों का फैलाव है ,दह्श्द गर्दी,इन्तहा पसंदगी है,आतंकवाद है आलमी स्तर पर . .इनमे से कितनी ही मानवीय व्यवहार से जुडी है ,उसकी उपज हैं लेकिन समाज के चलने काम करने तथा आर्थिक ढांचों के काम करने की उतनी समझ अभी हमें नहीं है .यही कहना है Helbing का .इस सबका समाधान भविष्य की इसी प्रणाली के पास सुरक्षित है .इति .

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रकृति के नियमों को पलटने वाली मशीन कैसे स्वीकार कर पायेगी प्रकृति।