सोमवार, 9 जनवरी 2012

क्यों भारत ग्रास बन रहा है टोटली ड्रग रेज़ीस्तेंट टी बी(TDR-TB) का ?

क्यों भारत ग्रास बन रहा है टोटली ड्रग रेज़ीस्तेंट टी बी(TDR-TB) का ?
'Deadlier strain arose due to health system,s failure'AVERAGE AGE OF PATIENTS WHO DID'T RESPOND TO TUBERCULOSIS DRUGS IS 32 YEARS./TIMES CITY/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,JANUARY 7 ,2012 ,P7
1992 में बहुदवा रोधी तपेदिक (MULTI -DRUG -RESISTANT TUBERCULOSIS (MDR-TB) का पहला मामला प्रकाश में आया था .इसके कुछ साल बाद ही तपेदिक के जीवाणु ने HIV -AIDS के साथ दुर्भि संधि करके उन लोगों को जो तपेदिक के साथ साथ एच आई वी एड्स से भी संक्रमित हो गए थे रोग की बेहद खतरनाक किस्म EXTREMELY DRUG -RESISTANT TB(XDR-TB) ने अपनी चपेट में ले लिया था .यही से तपेदिक पर नियंत्रण रख पाना स्वास्थ्य तंत्र के लिए दुश्वार सिद्ध होता चला गया .
अब तपेदिक का छोटा जीवाणु (दंदाणु ,TB BACILLI) सभी किस्म की पहली और दूसरी पंक्ति की दवाओं से बेअसर रहना सीख गया .सब दवाओं के प्रति इसने प्रति -रोध खडा कर लिया .
अब से कोई सौ बरस पहले तपेदिक के मरीजों को प्रथक करके इलाज़ के लिए किसी सेनेटोरियम (अस्पताल जैसा ही आरोग्य केंद्र ) में रखा जाता था .एक बार फिर हम वहीं पहुँच गए लगतें हैं जहां यह रोग बे -लगाम ,ला -इलाज़ हो चला है .केवल असरदार ( DRASTIC SURGERY AND MEDICATION) उग्र शल्य चिकित्सा और मेडिकेशन ही इन्हें थोड़ी सी राहतमोहलत दिलवा सकतें हैं.
यही कहना है डॉ .ज़रीर उद्वाडिया साहब का .आप हिंदुजा अस्पताल माहिम मुंबई से सम्बद्ध हैं .आपकी टीम का टोटली ड्रग रेज़िस्तेंत टी बी पर सारा कामऔर प्रेक्षण (observations) US-based Clinical Infectious Diseases peer review journal में प्रकाशित हुआ है .
आप सम्पूर्ण दवा रोधी तपेदिक के उभार के पीछे हमारे सारे चिकित्सा तंत्र की ना -कामयाबी का हाथ देखतें हैं .कुल मिलाकर सारा चिकित्सा तंत्र नाकारा सिद्ध हुआ है इस बाबत .
बकौल आपके सार्वजनिक चिकित्सा तंत्र कुल मिलाकर १%मरीजों को ही जो दवा रोधी तपेदिक की गिरिफ्त में चले आतें हैं सेकिंड -लाइन ड्रग्स मुहैया करवा पाता है .
निजी क्षेत्र में ऐसे चिकित्सकों की भरमार है जो इस रोग का प्रबंधन बुरे तरीके से कर रहें हैं .इन तमाम कारणों से ही रोग की दवा रोधी किस्म और ज्यादा पेचीला हो गई है .स्थिति बद से बदतर हो चली है .
इसी टीम ने पूर्व में मुंबई के उपनगर धारावी में एक अध्ययन संपन्न किया था जिसमे पता चला १०६ में से कुल ५ डॉक्टर्स ने नुश्खें में सही दवाएं दवा रोधी तपेदिक के प्रबंधन में तजवीज़ की थीं लिखीं थीं .ज्यादातर मरीजों को erratic ,unsupervised second -line drugs नसीब हुईं .इन दवाओं की खुराक भी मानक खुराक नहीं थीं ..
TDR-TB के मामले सबसे पहले ईरान में प्रकाश में आये :
बतलादें आपको अब से कोई तीन बरस पहले ईरान की राजधानी तेहरान में ऐसे तेरह मामलें मिले थे जिनमे प्रथम और द्वितीय पंक्ति की तमाम दवाएं नाकारा सिद्ध हुईं थीं .तपेदिक का जीवाणु इन दवाओं से पूर्ण तय अप्रभावित रहा आया . हिदुजा अस्पताल के मामलों में चिंता की बात यह है कि तमाम मरीज़ जवान हैं इनकी औसत उम्र ले देके ,३२.३ बरस है .
हिंदुजा अस्पताल में DRUG SUSCEPTIBILITY TESTING के बाद पता चला है कि ये सारे मरीज़ तमाम फस्ट लाइन ड्रग्स के प्रति प्रति -रोध दर्शा रहें हैं दवाएं ISONIAIZID,RIFAMPICIN ,ETHAMBUTOL ,PYRAZINAMIDE तथा STREPTOMYCIN(FIRST LINE DRUGS) बे -असर सिद्ध हो रहीं हैं तथा सेकिंड लाइन ड्रग्स (OFLOXACIN ,MOXIFLOXACIN,KANAMYCIN,AMIKACIN,CAPREOMYCIN,PARA-AMINOSALICYLIC ACID ,ETHIONAMIDE) भी निष्प्रभावी हैं .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !


रविवार, ८ जनवरी २०१२
क्या है सब दवाओं से बे -असर रहने वाली 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक '?
क्या है सब दवाओं से बे -असर रहने वाली 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक '?
What is totally drug -resistant tuberculosis?
बे -तरतीब लापरवाही से किया गया आधा अधूरा इलाज़ बनता है 'दवा रोधी तपेदिक (Drug- resistant TB) की वजह .यह वह स्थिति है जब मरीज़ तजवीज़ की गई सभी दवाओं को निर्धारित अवधि तक बिला नागा नियमित नहीं लेता है . यह भी होता है नीम हकीम दवाएं ही गलत लिख देतें हैं और मरीज़ इन्हें लेता रहता है .यानी डॉ या फिर स्वास्थ्य कर्मी भी इसकी वजह बनतें हैं मरीज़ को गलत इलाज़ पे चलाके .गैर भरोसे की दवा आपूर्ति भी इसकी वजह बनती है .
बहुदवा - रोधी-तपेदिक :
Multi-Drug -Resistant TB(MDR-TB)
यह तपेदिक की ऐसी खतरनाक किस्म है जिसमे छोटा जीवाणु बसिलाई या दंदाणु(Bacilli) तपेदिक के लिए दी जाने वाली दवाओं में से कमसे कम ISONIAZID तथा RIFAMPICIN JAIASI दो प्रभावकारी दवाओं के प्रति प्रति- रोध खडा कर लेता है .बे -असर बना रहता है इन दवाओं से .
भारत में तपेदिक की इस खतरनाक किस्म के दुनिया भर में सबसे ज्यादा तीन लाख मामलें सामने आ चुकें हैं . इनमे से बा -मुश्किल १%सरकारी मुफ्त दवा सेवाओं (govt's free drug plan )के दायरे में आतें हैं .
दवा रोधी तपेदिक में रसायन चिकित्सा (CHEMOTHERAPY) की ज़रुरत पड़ती है जिसके तहत सेकंड -लाइन एंटी -टी बी ड्रग्स (SECOND LINE ANTI-TB DRUGS) दवाएं दी जातीं हैं जो खासी महंगी होतीं हैं .तथा इनके रियेक्संस भी तीव्रतर और गंभीर होतें हैं .आम आदमी की जेब में इन्हें खरीदने के पैसे नहीं होते .ऐसा नहीं है कि यह रोग की प्रबंधनीय किस्म नहीं है .प्रबंधनीय है लेकिन कड़े अनुशाशन और बेहतरीन खुराक साथ साथ चाहिए जो आम तौर पर तपेदिक के इलाज़ का हिस्सा ही होता है .
MDR -TB TREATMENT :बहुदवा -रोधी तपेदिक का इलाज़ दो से लेकर सवा दो साल तक चलता है .कुल खर्च आ सकता है इस दरमियान दो लाख रुपया एक मरीज़ पर .
EXTREMELY DRUG -RESISTANT TB:
XDR-TB खासकर उन मामलों में जहां तपेदिक के साथ साथ मरीज़ HIV से भी संक्रमित हो जाता है तपेदिक का इलाज़ दुर्जेय हो जाता है .तपेदिक नियंत्रण में यहरोग किस्म एक बड़ी बाधा बनके खडा होजाता है .
यहाँ मरीज़ एक या फिर एक से ज्यादा दवाओं के प्रति प्रति -रोध दर्शाने लगता है यानी ये दवाएं निष्प्रभावी हो जातीं हैं .
TOTALLY DRUG -RESISTANT TB :
जिन मरीजों पर पहली और दूसरी पंक्ति की दवाओं का असर ज़रा भी नहीं होता वह इस खतरनाक 'पूर्ण दवा रोधी तपेदिक 'की चपेट में आजातें हैं .सौ फीसद रहती है इनकी मृत्यु दर . यही है टोटली ड्रग- रेज़िस्तेंत टी बी.
RAM RAM BHAI !RAM RAM BHAI!
JANUARY9,2012
तपेदिक एक विहंगावलोकन भारतीय सन्दर्भ .
AIR THREAT:
तपेदिक एक छूतहा रोग है जो मरीज़ के सांस छोड़ने छींकने आदि से उसके आसपास की हवा के ज़रिये फैलता है .आम सर्दी जुकाम सा यह हवा के ज़रिये ही फैलने वाला रोग है .यह शरीर के किसी भी हिस्से को असरग्रस्त कर सकता है लेकिन केवल फेफड़े की तपेदिक ही छूतहा सिद्ध होती है .
जब इस रोग से पीड़ित व्यक्ति सांस लेता है ,कफ उगलता है कफ निकालता है खखार के साथ बात करता है या कहीं थूकता है तब आसपास के हवा में इसका जीवाणु (बसिलाई ) फ़ैल जाता है .चंद बसिलाई सांस के अन्दर गए और व्यक्ति संक्रमित हुआ .
लेकिन संक्रमित होने का मतलब तपेदिक से ग्रस्त होना सौ फीसद नहीं है .ज़रूरी नहीं हैं इन तमाम लोगों में से सब में रोग के लक्षण प्रगट हों ,मुखर हों .हमारा रोग प्रति -रक्षा तंत्र एक कवच के रूप में इससे बचाए रहता है .एक THICK WAXY COAT हमें माइकोबेक्तीरियम ट्यूबरकुलोसिस (M.Tuberculosis ,or Koch's bacillus) के संक्रमण से अमूमन बचाए रहता है यह सुप्तावस्था में इस कवच में पड़ा रहता है .
लेकिन रोग रोधी तंत्र के कमज़ोर पड़ने पर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है इस संक्रमण से .
इलाज़ न होने पर या फिर इलाज़ मयस्सर न हो पाने पर एक मरीज़ साल भर में १०-१५ लोगों को संक्रमित कर सकता है .अलबत्ता एक बार संक्रमित होने पर औसतन ५-१०%लोग जीवन में एक मर्तबा या तो बीमार हो जातें हैं या संक्रमण -शील (infectious),.बा -शर्ते ये लोग HIV से संक्रमित न हों .
जिन लोगों में एच आई वी और टी बी दोनों की छूत लगती है जो दोनों से ही संक्रमित हो जातें हैं उनके तपेदिक की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि एच आई वी रोग रोधी तंत्र को कमज़ोर और लाचार बना सकता है .
INDIA A HOT SPOT:
2009 में पूरी दुनिया में १७ लाख लोग तपेदिक से मारे गए थे .भारत में ३-४ लाख लोग हर बरस इस रोग की चपेट में आके मर जातें हैं .
KILLER IN MUMBAI :
2010 में मुंबई में तपेदिक से ८९५३ (१५%)लोग मारे गए .
बकौल मुंबई महानगर पालिका २८,००० से ज्यादा लोगों का रोगनिदान के बाद इलाज़ चल रहा है .हज़ारों लोग और भी हैं जो निजी चिकित्सकों के पास इलाज़ के लिए पहुँच रहें हैं .
३१ दिसंबर २०११तक कुल २९८ लोग बहुदवा रोधी तपेदिक (MULTIPLE DRUG-RESISTANT-TB) का इलाज़ करवा रहे थे .
RAM RAM BHAI ! RAM RAM BHAI !
JANUARY 9 ,2012
पश्चिमी शैली के शौच गृह भी बन रहें हैं महिलाओं में यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन की वजह .
Loo and behold !Weston toilets also cause UTI/DNA/MUMBAI ,JANUARY 6,2012/epaper.dnaindia.com
महिलाओं को अभी तक यही भ्रम बना हुआ था कि दिन भर में पर्याप्त पानी न पीना तथा उनके तैं लेडीज़ टॉयलिट्स की पर्याप्त व्यव्श्था न हो पाने की वजह से उनका मूत्र दवाब को रोके बैठे रहना ही मूत्रमार्ग के संक्रमण के प्रति उन्हें रोग प्रवण बनाए रहता है .
अब माहिरों के अनुसार वेस्टन टॉयलिट्स का स्तेमाल खासकर खराब रख रखाव की व्यवस्था वाले पश्चिमी शैली के रेस्ट रूम्स का प्रयोग भी महिलाओं को मूत्र मार्ग के संक्रमण के प्रति अरक्षित बनाए रहता है .इनकी या तो तोय्लित सीट सोइल्ड रहती है मानवमल से सनी रहती है या फिरपेशाब के छींटों से कुलमिलाकर स्वास्थ्यकर हालात नहीं होते गन्दी रहतीं हैं ये सीटें मूत्र के छींटों से .इन हालातों में जीवाणु सीधे संपर्क में आता है मानवीय शरीर के और संक्रमण की वजह बन जाता है यह कहना है लीलावती अस्पताल की स्त्री रोग और प्रसूति विज्ञान की माहिर डॉ .नंदिता पल्शेत्कर का .
राम राम भाई ! राम राम भाई !
सेहत के नुश्खे :
HEALTH TIPS :
MILK SOLID त्वचा को पोषण प्रदान करता है तथा इसकी कान्ति(कान्तिमान ) को बढाता है चेहरे की दमक के लिए एक ग्लास दूध रोज़ पियें .
यदि रोज़ बा रोज़ लैप टॉप पे देर तक काम करना ही है तब इसे किसी उपयुक्त COUNTERTOP पर रखके खड़े होके काम करें .आप की रीढ़ के लिए भी अच्छा रहेगा कमर के लिए भी आप ज्यादा केलोरीज़ खड़े खड़े खर्च करेंगें .थक जाएं तो ब्रेक लेलें .मानव शारीर बैठे बैठे काम करने के लिए नहीं बनाया गया है .

6 टिप्‍पणियां:

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत सुन्दर

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

विषाणुओं की अपनी वैज्ञानिक शोध क्षमता है।

Urmi ने कहा…

बेहद ख़ूबसूरत ! बधाई !

SM ने कहा…

full of information and yes its not good that the numbers are increasing and its collective failure of govt,doctors and citizen groups.
everyone who understands this

Ranbir S Phaugat ने कहा…

Dear Sharma ji,
Your write ups on MDR-TB are good. Alas! if these could have been picked up by Hindi newspapers for wider circulation.On the contrary, except critically commenting upon the 'failure' of the health system of India, you have not made any comment about non-participation of other 'systems' such as failure of the media in not properly projecting the cause of the health systems. The Health Systems Research tells us that the largest, biggest and quickest source of information to people is the media that travels faster than anything else and that people themselves don't want to be educated or get themselves updated on issues that concern them most. Further, other things about the study that was published to indicate the seriousness of MDR-TB were not exposed by you. You could have done it had you the access to the research paper. But you didn't had and relied mostly on media reports, particularly The Times of India that picked up only the newsly stuff. Kindly do get a copy of the research paper and throroughly examine it to highlight other points that cannot be missed or avoided to be co-pubished with newsly stuff to clear the dust or expose the truth.

virendra sharma ने कहा…

Dear ranbirji ,your comments are of extreme importance ,noted for future.