सोमवार, 28 मई 2012

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का नतीजा है ये ब्रेन फोगीनेस

क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का नतीजा है ये ब्रेन फोगीनेस 

दो बरस पहले भोपाल वासी इकबाल ने अपना बेचुलर ऑफ़ इंजिनीयरिंग कोर्स बढिया दर्जा लेकर संपन्न किया था .बेंगलुरु की एक अग्रिम सोफ्ट वेयर कम्पनी में उसे काम भी मनमाफिक   मिल गया था .जैसे जीवन भर की एक साध पूरी हो गई थी .वह बहुत खुश था .फिर यकायक ऐसा क्या हुआ कि काम पर आने के मात्र आठ महीना बाद ही उसे काम छोड़ना पड़ा .

अचानक उसे महसूस होने लगा वह कोई  भी काम ठीक से नहीं  कर पा रहा है .कंप्यूटर का कोई कमांड भी फोलो नहीं कर पा रहा है .यहाँ तक कि उससे कम्पनी में कोई उसका पता पूछ ले तो उसे नाम बताने में भी देर लग जाती है .

घर में भी  उसका यही हाल रहने लगा .सुबह सवेरे तो संवाद जैसे चुक जाते थे .होंठों पर ताला लग जाता है संवादों को सिटकनी चढ़ जाती थी .लेदेकर एकाधिक  अक्षर एकाक्षरी संवाद ही वह बोल पाता था .अलबत्ता शाम होते होते स्थिति कुछ सुधरती थी .

किसी को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या है ?

घर के लोगों का तो और भी बुरा हाल था .घर के बाहर यार दोश्त भी इस स्थिति को सहज स्वीकार करने को तैयार नहीं थे .लेकिन सच यही था .उसे अब सोचने में तकलीफ होने लगी थी .कुछ याद नहीं आता था यहाँ तक की अपना नाम भी पूछने वाले को वह बता नहीं पाता था .

ज़ाहिर है इन हालातों में उसे नौकरी छोडनी पड़ी .क्योंकि वह बैठा -बैठा  अपनी वर्क डेस्क पर ही सो जाता था .दिमाग साथ नहीं देता था .एक मानसिक कुन्हासा सब कुछ को सोचने को धुंध में ले चुका था .

वह भोपाल लौट आया .प्राकृतिक चिकित्सकों से लेकर काया चिकित्सकों को उसने दिखाया लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया आखिर उसे हुआ क्या है ?

इत्तेफाक था उसके एक रिश्ते में नजदीकी सज्जन मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल में काम करते थे .

उनके परामर्श पर वह न्यूरोलोजिस्ट (स्नायुरोगों के माहिर ) गिरीश नायर साहब की शरण में आगया .

डॉ नायर ने बतलाया इकबाल Brain -fogginess की चपेट में आगया है .

यह दिमागी धुंध नतीजा है chronic fatigue syndrome  का .

यह ऐसी बेहद की थकान होती है जिसकी  चिकित्सा जगत के पास कोई व्याख्या फिलवक्त नहीं है .किसी मेडिकल कंडीशन से इसकी तुलना नहीं  हो सकती .

अलबता भौतिक और मानसिक श्रम से बढती ज़रूर जाती है .बद से बदतर होती चली जाती है कायिक और मानसिक सक्रीयता के संग .आराम से कम नहीं होती .

हेतुकी (Causes)

 (1)विषाणु  संक्रमण(Viral infections)

(2) रोग  प्रतिरक्षण  अभाव (immune deficiencies) 

(3)हारमोन   सम्बन्धी  असंतुलन(Hormonal imbalance)     

CFS/ME/PVF

    A Condition ,known variously as CHRONIC FATIGUE SYNDROME ,MYALGIC  ENCEPHALOMYELITIS or  ENCEPHALOPATHY or POSTVIRAL FATIGUE SYNDROME, characterized by extreme disabling that has lasted for at least six months , is made worse by physical and mental exertion ,does nor resolve with bed rest ,and can not be attributed to other disorders .

The fatigue is accompanied by at least some of the following :muscle pain or weakness (fibromyalgia),poor coordination ,joint pain ,recurrent sore throat ,slight fever ,painful lymph nodes in the neck and armpits ,depression ,cognitive impairment (especially   inability to concentrate ) ,and general malaise .

        The cause is unknown , but in some cases some viral conditions (especially glandular fever ) are thought to trigger the disease; however ,no viral aetiology has yet been identified.

  Treatment is restricted to relieving the symptoms and helping sufferers to plan their lives with a minimum of energy expenditure.


Graded  physiotherapy may be helpful in some cases .

Many psychiatrist consider CFS /ME/PVF to be a mood disorder and use behavioural and cognitive techniques as well as anti -depressants to treat it . 

7 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

घातक रोग..

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत खतरनाक बीमारी...पढ़ कर ही रोंगटे खड़े हो गये...

कुमार राधारमण ने कहा…

ऐसे रोगियों को चाहिए पूरा आराम। मगर निजी क्षेत्र में वह मिल कहां पाता है!

Anupama Tripathi ने कहा…

दिमाग के रोग ठीक होते ही नहीं |
सार्थक जानकारी ...!!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

आराम भी ज़रूरी होता है .
आराम शब्द में राम भी छुपा रहता है . :)

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही खतरनाक बीमारी है...
सच में रोंगटे खड़े हो गए...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दिमागी धुंध और अभी तक कोई इलाज नहीं ...
खतरनाक ... आराम जरूरी है ... राम राम जी ...