सोमवार, 3 सितंबर 2012

मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये



Protecting Your Vision from Diabetes Damage 


मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये 

?आखिर क्या ख़तरा हो सकता है मधुमेह से बीनाई को 

*  एक स्वस्थ व्यक्ति में अग्नाशय ग्रंथि (Pancreas) इतना इंसुलिन स्राव कर देती है जो खून में तैरती फ़ालतू शक्कर को रक्त प्रवाह से निकाल बाहर कर देती है और शरीर  से भी बाहर चली जाती है यह फ़ालतू शक्कर (एक्स्ट्रा ब्लड सुगर ).

मधुमेह की अवस्था में अग्नाशय अपना काम ठीक से नहीं निभा पाता है लिहाजा फ़ालतू ,ज़रुरत से कहीं ज्यादा शक्कर खून में प्रवाहित होती रहती है .फलतया सामान्य खून के बरक्स खून गाढा हो जाता है .

अब जैसे -जैसे   यह गाढा खून छोटी महीनतर रक्त वाहिकाओं तक पहुंचता है ,उन्हें क्षतिग्रस्त करता आगे बढ़ता है .नतीज़न इनसे रिसाव शुरु हो जाता है .

आँख के अस्तर आँख के परदे रेटिना पर इसी प्रकार की सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं का पूरा जाल फैला रहता है .यही इस नुकसानी की आसानी से चपेट में आजातीं हैं .
ऐसे में इससे    सटे आसपास के  इलाकों के ऊतकों तक पर्याप्त रक्त नहीं पहुँच पाता है .

इससे मुकम्मिल और स्थाई नुकसानी पहुँचती है इसी के साथ सफ़ेद और काले  मोतिया बिन्द (Cataracts and glaucoma)के खतरे के बढ़ने के अलावा आँख का पर्दा भी वियोजित हो सकता है,रेटिनल डिटएचमेंट मेंट के खतरे का वजन भी बढ़ सकता है .

अकसर इस की परिणिति होती है diabetic retinopathy में ,आँख के परदे का ऐसा रोग जिसकी वजह पुरानी पड़ चुकी मधुमेह की बीमारी बनती है लापरवाही बरतने पर .

?भला है क्या डायबेटिक रेटिनोपैथी 

* इस स्थिति में मधुमेह की वजह से ही आँख का  अस्तर (आँख का  पर्दा ) यानी रेटिना क्षतिग्रस्त हो जाता है .इतना अधिक  रक्त स्राव (रक्त रिसाव )आँख के परदे की महीन रक्त नलिकाओं से हो सकता है जो तात्कालिक तौर पर ही अंधत्व की वजह भी बन सकता है .

ठीक न हो सकने लायक इसी अंधत्व की चपेट में २०-७४ साला कितने ही लोग आजातें हैं .अंधत्व की यह एक बड़ी एहम   वजह बना हुआ है .

इसका जोखिम मधुमेह के अधिक से अधिक पुराना रोग होते जाने के साथ ही उसी अनुपात में बढ़ता जाता है .जितनी ज्यादा साल पुरानी मधुमेह उतना ज्यादा जोखिम .

अध्ययनों के मुताबिक़ जिन लोगों का रोग दस साला या और भी ज्यादा पुराना हो जाता है उनमें  से ५०% में मधुमेह से पैदा   आँख के परदे में रोग  सम्बंधित बदलाव आने लगतें हैं .

६५,००० मधुमेही हर बरस इसकी चपेट में आजातें हैं .लेकिन सही देखभाल और इलाज़ से इनमें से ९० %मामलों में ज्योति चले जाने का जोखिम घटके  कम रह जाता है .

?  कैसे कम किया जा सकता है इस के खतरे के वजन को ,बचा जासकता है डायबेटिक रेटिनो-पैथी  से 

*ओपटीशियन /ओप्टोमीटरिईस्ट से बीनाई की जांच करवाते रहिये 

बीनाई (विजन )की जांच करने वाले माहिर (आम भाषा में ऐनकबनाने वाला )को ही कहा जाता है ओप्टोमीटइरिस्ट .

वक्त रहते आँखों में होने वाले संभावित मधुमेह सम्बन्धी बदलावों का पता अकसर इस जांच से ही लग जाता है .एक ऑप्टोमीटइरिस्ट न सिर्फ आँख के परदे का मूल्यांकन करता है ,रेटिना में आये ना -मालूम से बदलावों को भी ताड़ लेता है .जिससे आपके मधुमेही (मधुमेह के पुराने रोगी )होने की पुष्टि होती है .

कई मर्तबा नेत्र विज्ञान और नेत्र रोगों के माहिरों से भी पहले ऑप्टोमीटीरिस्ट को आँखों का हाल मालूम पड़ जाता है .

अमरीकी मधुमेह संघ इस बात की सिफारिश करता है ,टाईप १ और टाईप २ मधुमेह का पता चलते ही न सिर्फ DILATED EYE EXAM होना चाहिए ,इसके बाद भी हर साल ऐसी जांच होती रहनी चाहिए .

सन्दर्भ -सामिग्री :-

Optometrist Q & A /eye on optical 

Protecting Your Vision from Diabetes Damage/Alicia M.Lombardo ,O.D. /Sam's Club Independent Optometrist /Sam's Club ,# 6460 Altoona ,Penn./Sam's  Club/September/October 2012  p 62,Healthy Living Made Simple   

1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सुगर की लंबी बिमारी से आँखों पे फर्क पड़ने लगता है .. ये तो मैंने अपने पड़ोस में ही देखा है ...
अच्छी और काम की जानकारी दी है आपने ...
राम राम जी ...