रविवार, 23 दिसंबर 2012

आज के हालात का तप्सरा है

आज के हालात का तप्सरा है







रविवार, 23 दिसम्बर 2012


"मंडराती हैं चील चमन में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

सज्जनता बेहोश हो गई,
दुर्जनता पसरी आँगन में।
कोयलिया खामोश हो गई,
मंडराती हैं चील चमन में।।

अबलाओं के कपड़े फाड़े,
लज्जा के सब गहने तारे,
यौवन के बाजार लगे हैं,
नग्न-नग्न शृंगार सजे हैं,
काँटें बिखरे हैं कानन में।
मंडरातीं हैं चील चमन में।। 

मानवता की झोली खाली,
दानवता की है दीवाली,
कितना है बेशर्म-मवाली,
अय्यासी में डूबा माली,
दम घुटता है आज वतन में।
मंडरातीं हैं चील चमन में।। 

रवि ने शीतलता फैलाई,
पूनम ताप बढ़ाने आई,
बदली बेमौसम में छाई,
धरती पर फैली है काई,
दशा देख दुख होता मन में।
मंडरातीं हैं चील चमन में।। 

सुख की खातिर पश्चिमवाले,
आते हैं होकर मतवाले,
आज रीत ने पलटा खाया,
हमने उल्टा पथ अपनाया,
खोज रहे हम सुख को धन में।
मंडरातीं हैं चील चमन में।। 

 शावकसिंह खिलाने वाले,
श्वान पालते बालों वाले,
बौने बने बड़े मनवाले,
जो थे राह दिखाने वाले,
भटक गये हैं बीहड-वन में।
मंडरातीं हैं चील चमन  में।।


क्या  दिल्ली रैप से बचा  जा सकता था ?

कृपया पढ़ें :

क्या दिल्ली रैप से बचा जा सकता था ?


http://veerubhai1947.blogspot.in/




3 टिप्‍पणियां:

musafir ने कहा…

http://navbharattimes.indiatimes.com/nsuis-attempt-to-defame-the-protest/articleshow/17733660.cms

Raajneeti ke ghatiya se ghatiya astar dekh sakte hain aap UPA Gov me .......... Sochi samjhi chal ke tahat NSUI pahale hinsatmak mod diya shati poorna pradarshan ko taki police ko bewajah wajah mile bheed ko titar bitar karne ka ....................

Shalini kaushik ने कहा…

.सार्थक अभिव्यक्ति नारी महज एक शरीर नहीं

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

भारत के भविष्य की दिशा निर्धारित कर रही है यह एक घटना।