शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

हेलिकॉप्टर घोटाले में वाजपेयी का नाम

'रविवार ' को आम आदमी की  आन लाइन हिंदी पत्रिका बतलाया जाता है आज इसने लिखा -


हेलिकॉप्टर घोटाले में वाजपेयी का नाम


पत्रिका ने  लिखा "हेलिकोप्टर घोटाले में भारतीय अधिकारियों और वायु सेना प्रमुख की रिश्वतखोरी के बीच रक्षा मंत्रालय ने अगस्ता वेस्टलैंड से सम्बंधित कुछ जानकारियाँ सार्वजनकि करते हुए कहा  है कि हेलिकोप्टर की खरीद के लिए तकनीकी शर्तें वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेई के समय निविदाओं में बदल दी गईं थीं और इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने एहम भूमिका निभाई थी ,....."

यह एक बहुत ही बेहूदा तर्क है जो असल  बात से लोगों का ध्यान हटाता है .फाइलों का चलना एक तकनीकी प्रक्रिया है जो सालों साल चलती है असल बात है घूस कौन खा गया .फ़ाइल आगे किसने बढ़ाई ,ऑर्डर  किसने दिया दलाली  किसने खाई .

मान लीजिए राहुल गांधी वाजपई के कार्यकाल में पैदा हुए होते तो क्या इसके लिए बाजपाई को कुसूरवार ठहराया जाता .इस तरह के तर्क पंडित कोंग्रेस में ही  पाए जाते हैं .जो असल बात से लोगों का ध्यान हटाने में माहिर हैं .

सारी  नदियाँ  हमारी आज जिस  कदर गंधाकर , सागर में मिल रही हैं वैसे इस एक खानदान से सारा भ्रष्टाचार निकल रहा है .पहले 'क 'से -क्वाटरोचि अब कनिष्क सिंह एक हाई कमान का भाई दूसरा राहुल का एहमद पटेल बोले तो राजनीतिक सलाहकार , राजनीतिक प्रबंध करता ,राहुल का सबसे नजदीकी व्यक्ति .हेलिकोप्टर मामले में  दलाली  में खाई  गई बे शुमार रकम को लेकर अब कनिष्क सिंह का  ही नाम उछल रहा है .

 अभी तो वाड्रा काण्ड की धूल  भी नहीं बैठी है ( झड़ी है) .

अल्प भाषी राहुलबाबा चुप हैं अपने मौन सिंह की तरह . राष्ट्रीय मुद्दों 

पर आप चुप्पा साध लेते हैं .







हेलिकॉप्टर घोटाले में वाजपेयी का नाम

नई दिल्ली. 15 फरवरी 2013

अटल बिहारी वाजपेयी

हेलिकॉप्टर घोटाले में भारतीय अधिकारियों और वायु सेना प्रमुख की रिश्वतखोरी के बीच रक्षा मंत्रालय ने अगस्ता वेस्टलैंड से संबंधित कुछ जानकारियां सार्वजनिक करते हुये कहा है कि हेलिकॉप्टरों की ख़रीद के लिए तकनीकी शर्तें वर्ष 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के समय निविदाओं में बदल दी गई थी और इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने अहम भूमिका निभाई थी. जाहिर है, भाजपा का कार्यकाल और अटल बिहारी वाजपेयी का नाम आने के बाद अब भाजपा का रुख देखने लायक होगा. 

इससे पहले भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया कि भाजपा की ओर से इस मामले को संसद में प्रकाश जावड़ेकर ने उठाया था. तब इसका सरकार ने उत्तर दिया था कि डील में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. भाजपा ये जानना चाहती है कि सरकार ने ऐसा क्यों कहा? क्या इटली सरकार से सूचना नहीं आई या फिर सूचना को गंभीरता से नहीं लिया गया? रविशंकर प्रसाद ने सवाल उठाया था कि हेलीकॉप्टर कंपनी इटली की थी क्या इसीलिए अब तक मामले की भारत में जांच शुरू नहीं हुई? उन्होंने कहा था कि अगर दिल्ली पुलिस जो कि गृहमंत्रालय के अधीन है, उसे यही हेलीकॉप्टर कंपनी 8-10 फीसदी कमीशन ऑफर कर रही है तो क्या रक्षा मंत्रालय में 12 हेलीकॉप्टर के लिए उसने कमीशन ऑफर नहीं किया होगा? श्री प्रसाद ने कहा था कि रक्षा मंत्रालय को भी कमीशन ऑफर किया गया है और कई दलालों के नाम सामने आ रहे हैं. यह विषय पिछले एक साल से उठ रहा था तो इस पर सरकार एक साल तक चुप क्यों रही? लेकिन अब रक्षा मंत्रालय द्वारा जो जानकारियां सार्वजनिक की गई हैं, उसके अनुसार सौदे भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरु हुये थे और गड़बड़ियों की शुरुवात भी वहीं से हुई थी.

हेलिकॉप्टर घोटाले को लेकर जो जांच रिपोर्ट इटली में जांच एजेंसियों ने पेश की है, उसके अनुसार जब अगस्ता-वेस्टलैंड को लगा कि वह डील से बाहर हो सकती है, तो कंपनी ने त्यागी परिवार के मित्र कार्लो और उसके बॉस राल्फ को साथ किया. इसके बाद उस टेंडर में बदलाव किया गया, जिसमें यह शर्ते रखी गई थी कि हेलिकॉप्टर 18 हजार फीट की ऊचाई तक उड़ान भरने वाले हों. अगस्ता के पास ऐसी क्षमता वाले हेलिकॉप्टर नहीं थे. उसकी कोशिशों से भारत सरकार के टेंडर में बदलाव किया गया और इसे 15 हजार फीट कर दिया गया. इतना ही नहीं, हेलिकॉप्टर के इंजन बंद हो जाने की स्थिति में उड़ान की जांच की शर्त जोड़ दी गई.

जांच रिपोर्ट के अनुसार दलालों ने 2005 से 2007 के दौरान जब एसपी त्यागी वायु सेना प्रमुख थे, उनसे 6 बार मुलाकात की. त्यागी ने माना है कि जिन लोगों का जिक्र जांच रिपोर्ट में हुआ है, वे उनके रिश्तेदार हैं. इसके अलावा त्यागी ने कुछ दलालों से भी मुलाकात की बात स्वीकार की है.

गौरतलब है कि भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेना प्रमुखों की सुविधा के लिये खरीदे गये 12 एडब्ल्यू-101 हेलिकॉप्टरों में भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की जांच के बाद एयरोस्पेस और डिफेंस निर्माण कंपनी फिनमैकानिका के मुखिया गियूसेप्पे ओरसी को दबोचा गया है. भारतीय रक्षा मंत्रालय ने फिनमैकानिका से 2010 में करीब 3600 करोड़ रुपए में 12 अति सुरक्षित अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टरों की ख़रीददारी की थी. इसमें तीन हेलिकॉप्टर भारत आ चुके हैं और बाक़ी के नौ हेलीकॉप्टरों के इस साल जून-जुलाई तक भारत आने की उम्मीद है. इधर इंडियन एक्सप्रेस ने इटली सरकार की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुये यह सनसनीखेज राज खोला है कि फिनमेकेनिका एयरोस्पेस डिफेंस कंपनी ने तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को मध्यस्थों के माध्यम से रिश्वत की रकम पहुंचाई थी.

http://raviwar.com/dailynews/d3236_chopper-scam-atal-bihari-vajpayee-government-20130215.shtml?utm_source=twitterfeed&utm_medium=twitter


हेलिकॉप्टर घोटाले में वाजपेयी का नाम   

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

अविस्वस्नीय आक्षेप,
घटिया रजिनिनिक पैतरे बाजी"अदम
गोंडवी ji की याद आती है "तहज़ीब के
बदन पर सियासी लिबास है "..."अपना
बयान बेद की तहरीर समझ ले ,"खुद को
मुल्क की जागीर समझ ले "