बुधवार, 13 मार्च 2013

Changing lifestyles linked to breast cancer rise


कैंसर रोग समूह के कुल ६ ,०९ ६ नए मामलों में स्तन कैंसर के १ ,८ ० ८ मामले सन २ ,० ० ८ में दर्ज हुए थे .यह संख्या मुंबई में इस बरस महिलाओं के लिए दर्ज़ कुल मामलों का २९ .७  %थी .इनमें से ५ ८ १ महिलाओं की मृत्यु हो गई .

२ ० ० ९ में दर्ज़ कैंसररोग समूह  के कुल मामलों (५ ,८ ४ ७ )में से स्तन कैंसर के मामले १ ,६ ५ ६ रहे जो महिलाओं में दर्ज़ कुल कैंसर मामलों का २ ८ .३ % रहा था .इनमें से भी ४ ८ ३ महिलाओं की मौत हो गई थी इस बरस .

२ ,० १ ० के लिए मुंबई नगरी का यह आंकडा रहा कुल नए कैंसर रोग समूह के ५ ,९ २ ६ मामलों में से स्तन कैंसर के १ , ८ ५ ० मामले यानी कुल मामलों का ३ १ . २ %  ,मौत हुई इनमें  से५ ४ ६ की .

यहाँ दर्शनीय और चिंतनीय यह है २ ,० ० ९ - २ ,० १ ० में इस स्वप्न नगरी में स्तन कैंसर के १ २ % मामले बढ़ गए इनमें वह महिलायें भी थीं जो अभी रजोनिवृत्त नहीं हुई थीं (Pre-menopausal ).

इस भारी बढ़ोतरी की वजह माहिरों ने रहन सहन ,जीवन शैली ,खानपान में आया बदलाव बतलाया है .वृद्धि सिर्फ स्तन कैंसर के मामलों में ही नहीं न हुई है तद्जन्य मृत्यु में भी हुई है .

कैंसर से होने वाली प्रत्येक चार मौतों  में से महिलाओं में एक मौत की वजह यही स्तन कैंसर बना है .

सामाजिक पद प्रतिष्ठा ,उम्र ,शिक्षा ,व्यवसाय के मद्दे नजर एक बात समान रूप से उभर कर आई  हैं ,समाज के हर पायेदान पर खड़ी  औरत अपनी सेहत के प्रति समान रूप से ला -परवाह रही  है .

टाटा मेमोरियल अस्पताल ,परेल के निर्देशक  डॉ राजेन्द्र बडवे इस बढ़ोतरी के पीछे दो एहम वजहों को देख रहे हैं -

(१)पहला बच्चा प्रजनन क्षम काल के बाद के बरसों में पैदा होना

(२ )पर्याप्त  समय तक स्तन पान न करवा पाना

आलमी स्तर पर भी अब तक संपन्न अध्ययनों से भी यह साफ़ हुआ है -औरत की जीवन  शैली में आये बदलाव

देर से विवाह करना ,पहली संतान और भी देर से पैदा करना ,अ -पर्याप्त अवधि के लिए स्तन पान करवाना

स्तन कैंसर के इस कदर बढ़ते मामलों की वजह बन रहें हैं .

शहरीकरण और स्तन कैंसर का अंतर सम्बन्ध स्वयं पुष्ट हो जाता है .दुर्भाग्य यह है अपेक्षाकृत कम उम्र

महिलायें भी इसकी ज़द में  आ रहीं हैं .

सर्वाधिक मामले ३ ५ -५ ० साला महिलाओं में ही इस दरमियान दर्ज़ हुए हैं .

एक के बाद एक दूसरी पीढियां अपेक्षाकृत जल्दी पश्चिमी शैली की गिरिफ्त में अब आ रहीं हैं .

उम्मीद की किरण भी हैं वह महिलायें जो समय रहते प्रौढावस्था के देहलीज़ तक आते आते इस जंजाल से बाहर निकल आइन हैं समय रहते रोग निदान से परिवार के निरंतर सहयोग से .स्वास्थ्य सचेत रहने से .असल बात है रोगनिदान और इलाज़ का जल्दी से जल्दी शुरू होना .

बडवे सिफारिश करते हैं सभी महिलाओं के लिए रोजाना ४ ० मिनिट की सैर या व्यायामशाला ,जिम आदि में जाके वर्क आउट करना ,नियमित स्व :परीक्षण करना दोनों स्तनों का .साल में एक मर्तबा माहिर से परामर्श करते रहना ,हर दो साल बाद मेमोग्राम उतरवाना .सबसे बड़ी बात अपने सेहत को वरीयता देना ,प्राथमिकता का क्रम निर्धारण करना .स्वास्थ्य सचेत रहना ,जागरूकता फैलाना .कर भला हो भला ,अंत भले का भला .

Changing lifestyles linked to breast cancer rise

Women have their hands full with the 'female cancers'. Breast cancer saw an alarming 12% rise, the battle is on to detect cervical cancer early &ovarian cancer remains a hidden threat


MUMBAI: A whopping 12% increase from 2009 to 2010 in the incidence of breast cancer among city women, including those in the pre-menopausal age group, has sent alarm bells ringing. Cancer experts say the exponential rise needs to be urgently addressed and arrested. The jump was not only restricted to newer cases; deaths too rose, by 13%.


Yet-to-be released figures for 2010, which were recently compiled by the Mumbai Cancer Registry, also reveal how breast cancer constituted the biggest chunk (31%) of all cancers detected that year. Almost every fourth death in women suffering from cancer was caused by breast cancer.

While the numbers are startling, the trend, say experts, has been emerging in a more pronounced manner over the years.


As a temporary relief, the incidence rate had dipped by 8.4% in 2009 - from 1,808 to 1,656 cases -- only to register a rise to 1,850 cases in 2010. Experts are unanimous that notwithstanding age, education, career or social standing, women in Mumbai continue to neglect their well-being, which when taken with other reproductive- and lifestyle-related factors makes them a very vulnerable lot.


Director of Parel's Tata Memorial Hospital, Dr Rajendra Badwe, said, "The increasing incidence can be attributed to two leading factors - they are having their first child late and they are not breastfeeding for long." He added that obesity comes a close third as a risk factor.


Worldwide, studies have found clear links between changes in women's lifestyles -- including late marriage, delayed first pregnancy and less breast-feeding - and the increasing incidence of breast cancer.

According to surgical oncologist Dr Sanjay Sharma, "Most women in the city are aware that they may get stuck in the paradoxical relationship between urbanization and breast cancer, like in all other developed nations. But they will still take their chances." He added, "What we cannot ignore is that younger women are falling prey to cancer."

Shravani Koyande, executive in-charge of the Mumbai Cancer Registry, said the highest percentage of new cases was detected in the 35 to 50 age group. Dr Purvish Parikh, who was formerly associated with the Tata hospital, is of the view that every passing generation is exposed to the malice of a westernized lifestyle much earlier. "And that essentially precipitates into getting the disease earlier," he said.

But all is not grim. Meera Pandey, 42, cancer survivor and nursing supervisor at the PD Hinduja Hospital, Mahim said that women are fighting back harder than ever. "They are more aware now. They seek treatment at the earliest and get on with their lives quickly," she said, adding that it is now common knowledge that survival chances improve with early diagnosis. "All they need is counselling and family support and their lives will be back on track," she said.


Badwe, too, is all for women incorporating a daily exercise regimen.

"A minimum of 40 minutes walk, or hitting the gym, is absolutely essential. Women need to also do regular breast self-examination, visit a specialist once a year and go for a mammogram once in two years," he said. "The bottom-line is that women need to make their own health a priority."


























4 टिप्‍पणियां:

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

आंकड़ों सहित बेहतरीन जानकारी,,,

Recent post: होरी नही सुहाय,

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जीवन भी प्रवाह माँगता है, बाधा में बिफर जाता है..

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सार्थक जानकारी वाकई स्तन कैंसर आज एक गम्भीर समस्या बनी हुई है.प्रस्तुत चित्र self test से सम्बन्धित हैं.

रविकर ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय -

शुभकामनायें-