शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

ज्ञान मुरली है यह बांस की बांसुरी नहीं

09 August 2013 Murli

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    मुरली सार:- “मीठे लाडले बच्चे – बाप आये हैं तुम्हारे लिए स्वर्ग की नई दुनिया स्थापन करने, इसलिए इस नर्क से दिल न लगाओ, इनको भूलते जाओ”
    प्रश्न:- रहमदिल बाप तुम बच्चों पर किस रूप से कौन-सा रहम करते हैं?
    उत्तर:- बाबा कहते हैं – मैं बाप रूप से मीठी सैक्रीन बन तुम बच्चों को इतना प्यार देता हूँ जो दुनिया में दूसरा कोई भी दे न सके। मैं तुम्हें पवित्र प्यार की दुनिया का मालिक बना देता हूँ। टीचर बन तुम्हें ऐसी पढ़ाई पढ़ाता हूँ जो तुम बहिश्त की बीबी बन जाते हो। यह पढ़ाई है मनुष्य से देवता बनने की। यह ज्ञान रत्न तुम्हें विश्व का मालिक बना देते हैं।
    गीत:- कौन है माता, कौन है पिता……..
    धारणा के लिए मुख्य सार:-
    1) बुद्धि से बेहद का सन्यास करना है। पुरानी देह सहित जो कुछ इन आंखों से दिखाई देता है उनसे ममत्व निकाल बाप और स्वर्ग को याद करना है।
    2) पढ़ाई को अच्छी रीति धारण कर बुद्धि को सतोप्रधान बनाना है। मुरली ही पढ़ाई है। मुरली पर बहुत-बहुत ध्यान देना है।
    वरदान:- सब कुछ बाप हवाले कर संगमयुगी बादशाही का अनुभव करने वाले अविनाशी राजतिलक अधिकारी भव
    आजकल की बादशाही या तो धन दान करने से मिलती है या वोटों से मिलती हैं लेकिन आप बच्चों को स्वयं बाप ने राजतिलक दे दिया। बेपरवाह-बादशाह – यह कितनी अच्छी स्थिति है। जब सब कुछ बाप के हवाले कर दिया तो परवाह किसको होगी? बाप को। लेकिन ऐसे नहीं कि थोड़ा-थोड़ा कहीं अपनी अथॉरिटी को या मनमत को छिपाकर रखा हो। अगर श्रीमत पर हैं तो बाप हवाले हैं। ऐसे सच्चे दिल से सब कुछ बाप हवाले करने वाले डबल लाइट, अविनाशी राजतिलक के अधिकारी बनते हैं।
    स्लोगन:- एक-एक वाक्य महावाक्य हो, कोई भी बोल व्यर्थ न जाए तब कहेंगे मास्टर सतगुरू।

    ज्ञान मुरली है यह बांस की बांसुरी नहीं 
    कृपया लाल रंगी तीनों सेतु बांचें -आनंद वर्षं होगा ,यकीन जानें 





2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

ज्ञान की सच्ची डगर।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही आनंद दायक.

रामराम.