सोमवार, 30 सितंबर 2013

CUTTING EDGE MEDICAL TECNOLOGY :WHAT IS NANOKNIFE ?

अभिनव चिकित्सा प्रोद्योगिकी का शिखर है -नैनो नाइफ़ 


What is NanoKnife  ?

कुछ मामले ऐसे होते हैं जहां कैंसरगांठ ,कैंसर ग्रस्त अंग को  को काट के नहीं फैंका  जा सकता परम्परागत शल्य के दायरे से ये बाहर बने रहते हैं जैसे यकृत का कैंसर (Liver Cancer ),अग्नाशय का कैंसर (Pancreatic Cancer ).,गुर्दों और अधिवृक्क ग्रंथि के कैंसर (Cancers of Kidneys and Adrenal glands )लसिका (Lymph nodes )  श्रोणी क्षेत्र (Pelvis )का कैंसर आदि , जहां मरीज़ के रोगमुक्त हो जाने की संभावना बहुत क्षीण बनी रहती है (Poor prognoses)वहां भी एक आस की किरण है नैनोनाइफ़ जिसमें  न कोई चीरा है न चाक़ू, सिर्फ बिजली की ताकत (विद्युत ऊर्जा ,विद्युत धारा ),Electric current का इस्तेमाल किया जाता है। 

परम्परागत रेडिओफ्रीकुवेंसी एबलेशन (Radiofrequency ablation )एवं माइक्रोवेव एबलेशन(Microwave ablation ) में ताप ऊर्जा (Heat energy )का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें ट्यूमर के पास के हिस्से भी नष्ट हो सकते हैं ,क्षति पहुँच सकती है कैंसर गांठ के आसपास वाले हिस्सों को। यहाँ ट्यूमर एबलेशन का काम विद्युत् स्पन्दें करती हैं। एक दमसे संकेंद्रित रहतीं हैं ये स्पंद।



Irreversible -electroporation (अ -परिवर्त्य विद्युत् छिद्रण )कहा जाता है इस प्राविधि को जिसमें सुईंनुमा इलेक्ट्रोड अर्बुद (Tumor)के गिर्द फिट कर दिए जाते हैं।
दरअसल  मृदु ऊतक से बनी कैंसर गांठ हमारे बहुत ही मह्त्वपूर्ण  अंगों को ,रक्त वाहिकाओं ( Blood vessels )और तंत्रिका तंतुओं (नर्व्ज़ )को घेरे रहतीं हैं। इसीलिए इनको अलग करना बड़ा दुस्साध्य क्या असम्भव ही सिद्ध होता है।

यहीं पर नैनोनाइफ़ की प्रासंगिकता और कारगरता दोनों काम आतीं हैं बा -शर्ते ट्यूमर्स का आकार तीन सेंटीमीटर या उससे भी कम रहा हो। इससे बड़ी कैंसर गांठों को कभी कभार क्रमिक (श्रृंखला बद्ध )इर्रिवर्सिबिल इलेक्टोफोरेशन (विद्युत् छिद्रण )से ठीक कर लिया जा सकता है। 

जहां शल्य मुमकिन ही न हो उन अंगों के लिए ही इसका अपना अप्रतिम स्थान है फिलाल। 

किनके लिए नहीं है यह प्राविधि ?

जिन्हें, जिनको  या तो कार्डिएक पेसमेकर लगा हुआ है या फिर जिनकी हार्ट बीट असामान्य रहती है ,जिन्हें नर्व उद्दीपन का सहारा लेना पड़ता है उनके लिए नहीं है यह अभिनव प्राविधि।  


BHAGVAD GITA 


श्रीमदभगवद गीता अध्याय चार :श्लोक (१५ - २०      )



एवं ज्ञात्वा कृतं कर्म , पूर्वैर अपि मुमुक्षुभि :

कुरु कर्मैव तस्मात् त्वं ,पूर्वै: पूर्वतरं कृतं (४. १५) 


प्राचीन काल  के मुमुक्षुओं ने इस रहस्य को जानकार कर्म किये हैं। इसलिए तुम भी अपने कर्मों 

का 

पालन उन्हीं की तरह करों। 


सकाम ,निष्काम ,और निषिद्ध कर्म 

3 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

उपयोगी चिकित्सा पद्धति ....अच्छी जानकारी

रविकर ने कहा…

समुचित जानकारी मिली-
आभार आदरणीय-

Arvind Mishra ने कहा…

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