मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

अक्ल का अंधा गांठ का पूरा

लालू को अपनी औलाद के बारे में पता ही नहीं कि कौन छोटा है कौन बड़ा। दरसल लालू प्रसाद को अपने परिवार के सदस्यों के बारे में यह भी पता नहीं है कि कौन बड़ा है और कौन छोटा। उम्र तो तब याद रहे ,जब परिवार सीमित हो। महाभारत काल में यदि धृतराष्ट्र से यह पूछा जाता कि कौनसी संतान किस नंबर पर है ,धृतराष्ट्र क्या बताता। अलबत्ता माँ होने के नाते गांधारी तो बता सकती थी। अब अच्छा तो यही है कि राबड़ी देवी से पूछ लिया जाए। अब ये चुनाव आयोग का मामला है। इसमें तो एफिडेविट भी नहीं चलेगा। अब लालू प्रसाद कह रहे हैं और उनके बच्चे भी यही कह रहे हैं कि जो उम्र चुनाव आयोग के कागज़ों में लिखी हुई थी वही उम्र हमने लिखी है। 

लालू प्रसाद का यह तर्क बड़े से बड़े मनहूस को भी हंसा सकता है मान लो चुनावी कागज़ों में या रिकार्ड में आज से बीस साल के पहले की उम्र दर्ज़ है तो क्या लालू प्रसाद अपनी उम्र चालीस साल बतलायेंगे। चुनाव आयोग ने ये कब कहा है कि अपनी अकल का इस्तेमाल न करो पर ये भी तो ज़रूरी है कि अक्ल हो। फैसला नीतीश को करना है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि लालू प्रसाद अकल का अंधा हो और गांठ का पूरा। 

शीर्षक :अक्ल का अंधा गांठ का पूरा -जो व्यवहार में समझ में बिलकुल ज़ीरो हो किन्तु अपने गांठ के पैसे को गिनने और उसे बचाये रखने में शातिर हो। 

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