गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

भारत की राजनीति का पंचक दोष हैं ये पांच -जो मोदी के 'नारे न खाऊँगा न खाने दूंगा' को शीर्षासन करवा के कह रहे हैं -'न कुछ अच्छा करेंगे ,न करने देंगें।'

डरे हुए अपनी करनी से ,खुद से भी घबराये लोग ,

कैसे करें विकास की बातें ,ये भ्रष्टाचारी छाये लोग। 

जाति और मज़हब का ,छौंका हुप हुप करते आये लोग ,

भाड़ में जाएँ देश के वासी ,ऐसे ये कुत्ताए लोग। 



जाति  में  उपजाति ,बाँटें ललवे  नीतू आये लोग ,

जीने और मरने की हद तक ,ऐसे ये भन्नाए लोग। 

फतवों की बैसाखी मांगें ,कज़रे कारे चुंधियाए लोग ,

पूंछ हिलाते वोट की खातिर ,ऐसे शातिर आये लोग। 

आपस में जूतम पैजारी ,पंचक दोषी आये लोग ,

खुद न करेंगे न करने देंगे ,गद्दारी होड़ में आये लोग। 

संदर्भ -सहित व्याख्या :

दिल्ली में केजर (कंजर्वाल ) से पिटने के बाद कांग्रेस को इस बात का परम संतोष था ,चलो हमारी तो फूटीं सो फूटीं मोदी की भी फूंटी। वही कांग्रेस ,केजर ,नीतीश ,लालू और लेफ्टीया (लहुरङ्गी लेफ्टिए )के साथ मिलके अब विदेशों में देश की छवि खराब कर रहें हैं।

भारत की राजनीति का पंचक दोष हैं ये पांच -जो मोदी के 'नारे न खाऊँगा न खाने दूंगा' को शीर्षासन करवा के कह रहे  हैं -'न कुछ अच्छा करेंगे ,न करने देंगें।' 

इनके साथ आयु में सत्तरोत्तरी वे (गए बीते बुढ़ाए ,सठियाए )लोग भी लग गए हैं जो अब तक लाभ के पदों पर चांदी कूट रहे थे। कुछ साहित्यिक चिरकुट चरण -चाटू  जो सत्ता की चाकरी करके इनाम पा गए थे उन्होंने भी इनकी पूंछ पकड़ ली है। 

मोदी की सिंह गर्जना से घबराए ये  लोग अब इकठ्ठे हो रहे हैं। भले ही पहले ये एक दूसरे पर खों खों करते थे। काटने को दौड़ते थे। एक दूसरे पर लतियाते थे लानत फैंकते थे। तमाम बुरी तरह से डरे हुए ये लोग डंडे लेकर हाथ में लेकर निकल आये  हैं  और बला का शोर मचाते हैं मोदी को देख कर।  वोटों  के लिए इन्होंने जो जाति के अंदर उपजाति और मज़हब का कालकूट विष इकठ्ठा किया है वे इस हलाहल को खुद ही पीकर अपनी मौत मारे जायेंगे।   भारतीय राजनीति में  पंचक का पातक फैलाने वाले ये पाँचों गिरोह  भारतीय प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए   आत्महत्या करने को भी तैयार हो जाएंगे।

ये उस समय हो रहा है जब भारत वर्ल्ड बैंक की रेटिंग में १२ पायदान चढ़ गया है। निवेश फ्रेंडली पायदानों पर खड़ा है और ऊपर चढ़ने को तैयार ,नित नए मनसूबे लिए।  

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