बुधवार, 9 दिसंबर 2015

अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हटूंगा -कहता है मंदमति

मंदमति और मायनो इन दिनों किस कदर बौखलाए हुए है यह समझने के लिए उनके एक ही समय पर एक ही मुंह से निकले उद्गारों पर गौर करना हमारे मत की पुष्टि करेगा:

(१) सरकार के दवाब में नेशनल हेराल्ड मामला (केस)) दोबारा खुलवाया गया है।

(२) इस देश में दो तरह के कनून हैं ,सरकार (सत्ता पक्ष )के लिए एक प्रकार के ,विपक्ष के लिए दूसरे प्रकार के।

(३) सरकार का अदालत पर दवाब  है।

(४) अदालत का अपमान कौन कर रहा है साफ़ पता चलता है।

(५) हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।

(६ ) नेहरुपरिवार की तीमारदारी  करने वाला एक उकील सिब्बल  कहता है  हम तो और पहले की तारीख चाहते थे।

अदालत ने १९ दिसंबर की तारीख दी है।जबकि समय कि मोहलत मांगने इनके छ :उकील  एक साथ पहुंचे थे -कहा सोनिया तो लोक सभा में  व्यस्त हैं ,राहुल का बाहर जाने का कार्यक्रम पहले से तय था। सोनिया किस प्रकार कृत्रिम मेकअप करके स्वांग रच रहीं हैं पूरा देश देख रहा है -मैं इंदिरा की बहू  हूँ किसी से नहीं डरती (किसे नहीं मालूम मायनो क्या तुम भूल गईं ?) कौन डरा रहा है आपको। नाम बताओ उसका।

(७ )अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हटूंगा -कहता है मंदमति

(८ ) भैया फिर वहीँ खड़े रहते ,उस जगह को छोड़कर चैन्नई -पुदुचेरी  क्यों चले गए।

((९ ) सितमबर २०१५ से  ही कांग्रेस के पास इत्तला थी -आठ दिसंबर को कोर्ट में हाज़िर रहने की।

(१० )राहुल गांधी सॉरी मंदमति शहजादे को  कैसे इल्म हुआ -चैन्नई में बाढ़ आएगी। क्या भविष्य  कथन करना कहीं से सीखकर  हैं।

(११)  दुर्योधन  की भाषा है ये -अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हटूंगा -हश्र भूल गए भैया दुर्योधन का। 

2 टिप्‍पणियां:

Rajendra kumar ने कहा…

आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.12.2015) को " लक्ष्य ही जीवन का प्राण है" (चर्चा -2187) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, सादर धन्यबाद।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

सही बात है......