शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

अष्ट ग्रह इस्लाम पे भारी

अष्ट ग्रह  इस्लाम पे भारी 

आतंकी हमले के बाद फ्रांस बराबर खबरों में बना हुआ है। पिछले हफ्ते की खबर थी फ्रांस में हिन्दू हों या मुस्लिम समान  भाव से सभी के लिए पहले फ्रांस है बाद में उनका मज़हब या और कुछ। संकट के समय बड़ी तादाद में लोग हिन्दू मंदिरों  में पहुंचकर फ्रांस की सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं अपने ईष्ट देव के आगे। 

अब खबर आ रही है वहां की १६० मस्जिदें जिहाद के प्रति लोगों की भावना भड़काने का  काम कर रहीं हैं।तीन मस्जिदों को शक के घेरे में लेकर बंद किया जा चुका है। शेष की भी तालाबंदी विमर्श के घेरे में है। 

ऐसे माहौल में हमें फिलिस्तीन,सीरिया  या अन्यत्र होने वाली घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए। जुम्मे की नवाज़ के बाद मस्जिदों से निकलकर साफ़ साफ़ लफ़्ज़ों में कहना चाहिए हमारा आइसिस या किसी और आतंकी संगठन से कोई लेना देना नहीं है। ये इस्लाम के उसूलों को दुनिया भर में बदनाम  कर रहें हैं। इस्लाम का तो अर्थ ही अमन का शान्ति का पैगाम है।हम भारतधर्मी सर्वसमावेशी ,सर्वग्राही समाज के लोग हैं हमारा धर्म पहले भारत है।  

आज़म खान तथा इसी सोच के कई बोलीवुडिया खानों ,ओवेसियों ,के बयानों से खुद को अलहदा कर लेना चाहिए। सलमान खुर्शीद और शकील अहमद जैसे देश विरोधी वक्तव्य देने वालों से भी पल्ला झाड़कर दो टूक कहना चाहिए। ये हमारे प्रतिनिधि नहीं हैं।इस्लाम के स्वयं नियुक्त खुदमुख्त्यार हैं। भारत का मुसलमान इनसे सहमत नहीं हैं।असली काफ़िर यही हैं।  

कई हिन्दू सेकुलरिस्ट भी यही काम कर रहे हैं हम बाकायदा उनका ज़िक्र कर रहे हैं इनमें मणिशंकर अय्यर ,दिग्विजय सिंह ,केसी त्यागी सोच के लोग शामिल हैं।  अय्यर और सलमान खुर्शीद तो पड़ोसी  पाकिस्तान में जाकर शरीफ को बेहतर प्रशासक बतलाते हैं हमारे प्रधानमंत्री  के बरक्स।मणिशंकर अय्यर तो भारत -पाक बातचीत की बहाली के लिए वहां जाकर  कहते हैं। मोदी को हटाओ ,हमें लाओ।दोस्तों पहचानों इन ताकतों को  और इनका समर्थन करने वाली पार्टियों को।  
भाइयों  सवाल हिन्दू सेकुलरिस्टों और मुस्लिम बड़बोलों तक सीमित नहीं है। आज जबकि पूरा योरोप ब्रिटेन ,जर्मनी और रूस, अमरीका,आतंकियों खासकर आइसिस के प्रति एक ताकत बनकर सामने आ रहा है। भारत की तरफ से शिथिल संकेत नहीं जाने चाहिए। भारत की एक जूटता इस वक्त की सबसे बड़ी चुनौती है। इस्लाम की जमुना को गंगा से अलग करके हम नहीं देख रहे हैं। गंगा जमुनी प्रवाह को बनाये रखना हमारा प्रथम लक्ष्य न सिर्फ होना चाहिए। दिखना भी चाहिए खाकर तब जबकि भारत भी आइसिस की निशाने पे आ गया है। 

इस्लाम के काफ़िर उल्लेखित सोच के व्यक्ति है। इस्लाम की मूल धारा नहीं। इसे बारहा दोहराने की आज ज़रुरत है। बतलाते चलें उल्लेखित सात व्यक्तियों के अलावा अष्टम ग्रह लबारी लालू इस्लाम पे भारी पड़  सकता है।इस्लाम को बदनाम करने  वाले इसी सोच के चंद  लोग हैं। 

अलग अलग काल खण्डों में आये मीरजाफर और जैचंद इस दौर में एक साथ आ गए हैं अवतरित हो गए हैं।खबरदारी की ज़रूरत है ,इनसे।   

 शब्बा खैर। 

     


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