मंगलवार, 23 फ़रवरी 2016

ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है


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Virendra Sharma और मुरारि पचलंगिया ने Bhawani Shanker Chauhan की पोस्ट साझा की.


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Bhawani Shanker Chauhan
इस बहन का नाम पता नही मालूम,
पर इनकी बाते सुनकर लगा धन्य है वो माता पिता जीनोने इस वीर पुत्री को जन्म दिया मै आज नमन करता हूँ उन गुरु जणको जिन्होने इस तर कि देशभक्ति सिखाई मै नमन करता हूँ इस बहन को जिसने आज इस प्रकार अपना आक्रोश सब समाज के सामने रखा l


  • Virendra Sharma ने Bhawani Shanker Chauhan की पोस्टसाझा की.
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    Virendra Sharma
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    Virendra Sharma इस बेटी ने जो उदगार व्यक्त किये हैं उनमें भारत धर्मी समाज ही अभिव्यक्त हुआ है :चार पंक्तियाँ उन मार्क्सवाद के बौद्धिक गुलामों के नाम जो जनेऊ में घुसे इस्लामी कट्टरपंथ के हाथों खेल रहें हैं ,रोहित वेमुला को मौत के मुंह में धकेल चुके हैं :

    सामने दर्पण के जब तुम आओगे ,...और देखें

    Virendra Sharma

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  • सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
    देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है

    ऐ वतन, करता नहीं क्यूँ दूसरी कुछ बातचीत,
    देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
    ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
    अब तेरी हिम्मत का चरचा ग़ैर की महफ़िल में है
    सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

    वक़्त आने पर बता देंगे तुझे, ए आसमान,
    हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
    खेँच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उमीद,
    आशिकों का आज जमघट कूचा-ए-क़ातिल में है
    सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

    है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा उधर,
    और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
    ख़ून से खेलेंगे होली अगर वतन मुश्क़िल में है
    सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

    हाथ, जिन में है जूनून, कटते नही तलवार से,
    सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से.
    और भड़केगा जो शोला सा हमारे दिल में है,
    सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

    हम तो घर से ही थे निकले बाँधकर सर पर कफ़न,
    जाँ हथेली पर लिए लो बढ चले हैं ये कदम.
    ज़िंदगी तो अपनी मॆहमाँ मौत की महफ़िल में है
    सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

    यूँ खड़ा मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
    क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है?
    दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
    होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
    दूर रह पाए जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,
    सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

    वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमे न हो ख़ून-ए-जुनून
    क्या लड़े तूफ़ान से जो कश्ती-ए-साहिल में है
    सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
    देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में

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