रविवार, 28 मई 2017

अनुक्त जानाति अपि पंडिता

अनुक्त जानाति अपि पंडिता 

अर्थात जो कहा नहीं गया है उसे भी जाना जा सकता है ,मसलन हमारे शरीर में आकाश तत्व का( स्पेस का )भाग शेष चार अन्य से बड़ा है। हमारे अंदर बाहर दोनों जगह मौजूद है महाराणा प्रताप का रणकौशल ,शिवाजी की वीरता और शत्रु के हाथ न आने वाली महारत एवं कला ,यही मुखर होती है भारतीय शौर्य के प्रतीक जेंटिल मेंन कैडिट्स की , इंडियन नेवल अकादेमी ,इंडियन एयरफोर्स एकाडेमीआदि  की पासिंग आउट परेड्स में।

नब्बे के दशक(गत शति के आखिरी दशक ) में नेशनल डिफेन्स अकादेमी की पासिंग आउट परेड देखने का और चंद रोज़ पहले इंडियन नेवल अकादेमी,एज़िमला  की पासिंग आउट परेड ,पीटी शो ,एवं सांगीतिक सांस्कृतिक प्रस्तुति अज़ीमुथ देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। 

महाराणा प्रताप का चेतक यहीं आले दुआले दिखा ,वेलर -रिद्म -माधुर्य (लय -ताल )और समय का प्रबंधन ,पल के भी पल का हिसाब और पिन पॉइंट लेंडिंग का मतलब क्या होता है। ठीक से समझ आया। 

समझ आया हमारे प्रतिरक्षा बलों में लैंगिक समानता मुखर है ,यहां बेटी  रक्षक की भूमिका में है। बेटे भी।प्रशिक्षण पूरा करके( स्प्रिंग पासिंग आउट ) कल के जांबाज़ एक नै तैयारी में शामिल होने के लिए अपने अपने घर चले गए। अल्प अंतराल के बात फिर लौटेंगे कुछ शेष कैडिट्स अपना अपना प्रशिक्षण संपन्न करने ,पासिंग आउट्स नै पोस्टिंग्स पे जाएंगे ,अफसर की हैसियत  से। 

यकीन मानिये प्रांगण खाली -खाली लगता है जैसे  कोई मेला आगे बढ़ गया हो जैसे बेटी विदा हो गई हो। सामूहिक हर्षो -उल्लास के पल थे जब इनके सबल युवा कांधों पर फ़ीत (रेंक )जड़ी जा रही थी। नेवल प्रमुख श्रीलंका द्वारा। पूरा वातायन नांच उठा था। 

आज हमने शौर्य को भी सेकुलर बनाके छोड़ दिया है ,महाराणा प्रताप मेवाड़ (चित्तोड़ )के शिवाजी महाराष्ट्र के हैं -कुछ लोग बतलाने लगें हैं ,जबकि शौर्य की हमारी परम्परा श्रुति परम्परा की तरह शाश्वत है। 

जयश्रीकृष्ण ,जयश्रीराम ,जयहिन्द की सेना प्रणाम। 

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