मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017

विपरीत परिस्थितियों में प्रसन्न रहना विहँसना कोई राम से सीखें

विपरीत  परिस्थितियों में प्रसन्न रहना विहँसना कोई राम से सीखें 

सदा मिलके सब -जन राम नाम गाइये ,

लेकिन पहले ज़रा मुस्कुराइए। 

रघुपति राघव राजाराम ,पतितपावन सीता राम ,

जय  रघुनन्दन जयसियाराम, जानकी वल्ल्भ सीता राम। 

वैसे मुस्कुराना आजकल संदेह का विषय बन गया है खासकर बाबाओं के लिए ,इसलिए सावधानी रखिये। 

  भगवान् जी को ,राम को हृदय में रखते हुए मुस्कुराइए। भगवान् को हृदय में रखिये। 

तीन दिन बीत गए समुन्द्र मार्ग  नहीं देता। 

विनय न माने जड़धि - जल,  गए तीन दिन दिन बीति ,

बोले राम सकोप  तब, भय बिनु होइ न  प्रीत । 

https://www.youtube.com/watch?v=2-A1TSF1w_k

कभी -कभी बच्चों को भय दिखाना पड़ता है जिसके पीछे प्रेम होता है। 
उल्लेखित  पंक्ति तुलसी की नहीं है पात्र की हैं समुन्दर की है जो रावण का मित्र था -राम के ये वचन सुनकर समुन्द्र ने ये वचन बोले :

ढोल गंवार शूद्र पशु नारि ,सकल ताड़ना  के अधिकारी।

बहुत ज्यादती हुई है तुलसी के साथ इन पंक्तियों का अर्थ निकालने वालों से।  

यहां गंवार का मतलब फूहड़ नहीं है गाँव का रहने वाला है।जैसे नागर या शहरी का मतलब शहर का रहने वाला है। 

 शूद्र का मतलब छोटी जाति  से नहीं है जो सेवा करता है वह उस समय शूद्र है ,ब्राह्मण जिस समय ब्रह्मज्ञान देने की  सेवा कर रहा है  वह भी  शूद्र है। क्लास में शिक्षक शूद्र है ,.... 

तुलसी किसी की आलोचना नहीं करते -'सकल ताड़ना' का अर्थ वह नहीं है जो कथित विज्ञ- लोगों ने अब तक लगाया है। नारी की देहयष्टि पुरुष से भिन्न है अगर दोनों ,चोरों -लुटेरों  के हाथ पड़ जाएँ तो नारी शरीर को नुक्सान ज्यादा पहुंचेगा ,तुलसी की यहां यही चिंता है। इन्हें संभाल के दबाके रखने की जरूरत है। 

परिवार के जीवन में केंद्र में प्रेम रखिये ,हनुमान जी को रखिये ,परिवार एक प्लेटफॉर्म नहीं है ,खाया -पीया खिसक लिए। (भटकी हुई युवा भीड़ क्या ऐसा नहीं करती है ?). 

'सीता के वनवास में भी एक सीख है ,
घर में तीन -तीन सास हों तो जंगल ही ठीक है। '-ये गढ़ी हुई टकसाली परिभाषा नहीं है परिवार की इसलिए घर के केंद्र में हनुमान को रखिये।अधुनातन व्याख्याएं न करें सनातन ज्ञान की।  

https://www.youtube.com/watch?v=8DHCiEPNBK4 




कोई टिप्पणी नहीं: